अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.राजाराम त्रिपाठी ने सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून रद्द करने के फैसले का स्वागत किया है…उन्होंने कहा है कि,आशा बांधे अपने खेत खलिहानों में जुटे हुए हमारे साथी सत्तर करोड़ किसानों की जीत है

रायपुर:अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने किसान आंदोलन के सभी सहयोगियों के लिए बधाई संदेश प्रेषित किया है। दरअसल यह उन 700 से ज्यादा शहीद किसान साथियों की जीत है। यह मोर्चे पर दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड, पूरे मानसून की बारिश तथा धूप में जलती सड़क पर पड़े लाखों किसान योद्धाओं और देश के कोने-कोने के गांव में किसानों की जमीन व स्वाभिमान के जीत की आशा बांधे अपने खेत खलिहानों में जुटे हुए हमारे साथी उन सत्तर करोड़ किसानों की जीत है। यह मीडिया की दीवारों तथा निर्भीक साथियों की जीत है जिन्होंने दिये और तूफान की लड़ाई में, इस परम शक्तिशाली अहंकारी सरकार के खिलाफ मजलूम किसानों का मजबूती से साथ दिया, तथा हमारे साथ खड़े रहे। यह देश के लोकतंत्र की जीत है। यह महाशक्तिशाली बहुराष्ट्रीय जायंट कंपनियों के षड्यंत्रों पर पर खेत खलिहान और गरीब किसान की प्रारंभिक जीत है। प्रधानमन्त्री जी तथा सरकार को जबरिया थोपे गए तीनों कानूनों की वापसी वह किसानों से माफी मांगने के साथ ही साथ उन 700 किसान परिवारों से भी माफी मांगनी चाहिए जिनके मुखियाओं की इस आंदोलन में जानें कुर्बान हो गईं, जिन्हें संसद में श्रद्धांजलि देने और दो बूंद आंसू बहाने की भी जरूरत इस सरकार ने नहीं समझी। इस पवित्र किसान आंदोलन को लगातार संभव तरीके बदनाम करने, और तोड़ने की षड्यंत्रकारी कोशिशों के लिए भी माफी मांगी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री जी के इस कदम को देर से उठाए गए पहले सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। पर इससे आगे भी सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे पहले चुनौती है इस सरकार की नीयत तथा नीतियों के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने की। इसके बाद देश की खेती किसानी को केंद्र में रखते हुए, व्यापारी कारखाना मालिक निर्यातक आदि सभी पक्षों के बीच एक न्यायकारी व्यवस्था कायम करते हुए हुए, देश को मजबूत करने हेतु साझा पहल शुरू की जानी चाहिए।


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