कमलेश यादव:एक ही तो दिल है डॉक्टर साहब कितनी बार जीतोगे ? आज के समय मे वास्तविक सेवा भाव बहुत कम देखने मिलता है कुछ लोगों की अच्छी और निश्छल कार्य से पूरी दुनिया टिकी हुई है।आज हम बात करेंगे अबूझमाड़ क्षेत्र में पदस्थ डॉक्टर जैनेंद्र शांडिल्य के बारे में इन्होंने न केवल गांव गांव जाकर वैक्सीनेशन को कम्पलीट करने में लगे हुए है वही मरीजों के इलाज भी पूरी शिद्दत के साथ करते है बदले में उन्हें गांव वालों का ढेर सारा प्यार और दुआ मिलता है जो किसी खजाने से कम नही है।धनोरा स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे है।।
उबड़ खाबड़ भरी रास्तों पर जंगलों से स्वास्थ्य सेवा देने जाते हुए एक सुंदर चिड़िया जिसे गोल्डन फ्रोन्टेड लीफबर्ड के नाम से जाना जाता है घायल अवस्था मे मिली।कोई शिकारी द्वारा लगाए गए गोंद में पेड़ में फंस गया था पंख उखड़ गए थे।जिसे हमने अपने साथ ला लिया शुरू में तो वह बहुत डर रही थी लेकिन प्यार की भाषा सभी को आसानी से समझ आ जाता है प्यारी चिड़िया टमाटर वगैरह खाती है और अब तो पंख भी बड़ी हो गई।घर की सदस्य की तरह बड़े प्यार से नजदीक आ जाती है।हाल ही में वह खुले आसमां में फिर से स्वतंत्र उड़ गई आखिर ये जंगल उसका घर ही तो है।उसके भी तो रिश्तेदार होंगे और सभी को अपने लोगों के पास जाने की खुशी होती है।पर थोड़े समय ही सही लेकिन इस चिड़िया की मधुर आवाज मुझे जिंदगी भर याद रहेगी ऐसा कहना है डॉक्टर शांडिल्य जी का।डर इस बात का है उसके बिरादरी वाले उसे स्वीकार करेंगे या नही क्योकि मानवीय हाथ पड़ने के बाद पशु पक्षियों की समाज उन्हें स्वीकार नही करता है।पर जहा भी रहे अच्छे से रहे।