वाराणसी स्थित वैदिक विज्ञान केंद्र में वैदिक विधि शास्त्र का 1 साल का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हो रहा है। इस कोर्स के माध्यम से वेद के आधार पर लॉ-एंड-ऑर्डर को स्थापित करना सिखाया जाएगा। इस कोर्स में वेद आधारित न्याय प्रणाली के साथ-साथ नैतिक शिक्षा को भी शामिल किया गया है। नवंबर में शुरू हो रहे इस कोर्स का सिलेबस देश भर के न्यायविदों के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है।
इस कोर्स से जुड़े जानकारों के मुताबिक आज कानून में कुछ कमियां हैं, जिनका लाभ उठाकर दोषी सजा से बच जाता है। लेकिन, प्राचीन भारत की न्याय व्यवस्था में ऐसा संभव नहीं था। इसके अलावा आज कानून की सीमित व्याख्या के चलते सही नैतिक आधार पर न्याय नहीं हो पाता। इन जानकारों के मुताबिक इन्हीं कमजोरियों को भारत के वैदिक ग्रंथ ‘न्याय मीमांसा’ के आधार पर कैसे हल किया जा सकता है, यह इस कोर्स में पढ़ाया जाए
सामाजिक न्याय की भी व्यवस्था थी
वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्राेफेसर उपेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि वेदों को नीति और न्याय से अलग नहीं रखा जा सकता। उस काल में सामाजिक न्याय की व्यवस्था थी। इस वजह से ही न्याय के दौरान व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार पर भी गौर किया जाना चाहिए।
उपेंद्र त्रिपाठी के मुताबिक न्याय मीमांसा के 1 हजार श्लोकों में बड़े विधिवत तरीके से न्याय व्यवस्था की बात कही गई है। इन श्लोकाें के अर्थ बताकर छात्रों को इसका गहन अध्ययन कराया जाएगा। किसी मामले पर वैदिक न्याय के आधार पर क्या फैसला किया जा सकता है, हम ये भी सिखाएंगे।
योग्यता के आधार पर तय हो नियम
इस कोर्स से जुड़े लॉ फैकल्टी के डॉ अनूप कुमार पांडेय ने बताया कि प्राचीन इतिहास में योग्यता के अनुसार शस्त्र रखने की व्यवस्था बनाई गई थी। मगर आज जरूरत पर असलहा दे दिया जाता है। आज भी योग्य व्यक्ति को ही यह सुविधा दी जानी चाहिए। पहले अपराध करने वालों का फैसला ग्राम पंचायत के स्तर पर ही हो जाता था। इससे न्यायालय पर अनावश्यक मामलों की भीड़ से दबाव नहीं पड़ता था।
इससे उलट आज ज्यादातर हाइकोर्ट और जिला कोर्ट में वर्षों से मामले लंबित पड़े हैं। गवाह और साक्ष्य की कमी से चलते कोई फैसला हो नहीं पाता है। आज जरूरत है कि ग्राम पंचायत को मजबूती देकर, वहीं ज्यादातर मामलों को निपटा देना चाहिए।
पढ़ाया जाएगा राजधर्म और सुशासन का पाठ
वैदिक विधि शास्त्र में न्याय मीमांसा, राजधर्म, सुशासन और वैदिक पर्यावरण कानूनों की बात की जाएगी। वहीं संस्कृत के शब्दों, स्रोत, कर्तव्य आधारित न्याय, सिविन रांग, क्रिमिनल रांग, पारिवारिक कानून, वैवाहिक संबंध, पितृत्व, संतान और दत्तक पुत्र विधि, संयुक्त हिंदू परिवार, उत्तराधिकार विधि और हिंदू महिलाओं के संपत्ति अधिकार आदि पर भी विस्तार से पढ़ाई होगी।