शहीद की बेटी सरोजनी साहू की प्रेरणादायी कहानी…पिताजी का सपना हुआ साकार बनी आरक्षक…14 साल संघर्ष करती रही और अंततः वह दिन आ गया जब नियति को भी झुकना पड़ा

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कमलेश यादव:भगवान राम को 14 साल के वनवास में जाना पड़ा था ।आज की कहानी भी एक ऐसी लड़की के इर्द गिर्द घूमती है जिन्होंने अपनी जिंदगी के 14 साल गुजार दिए न्याय पाने के लिए।जिंदगी से अकेली संघर्ष करती रही और अंततः वह दिन आ गया जब नियति को भी झुकना पड़ा।छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिले से 33 किमी के दूरी में बसा छोटा सा गांव कुटरू जहा सरोजनी साहू का जन्म हुआ।बचपन मे माँ का साया सर से उठ गया था।पिताजी स्व.जगन्नाथ साहू एसपीओ थे।15/3/2007 का वह दिन जब नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान पिताजी शहीद हो गए।जिसे रानी बोदली कांड से जाना जाता है।देर सवेरे ही सही 10/9/2021 को छत्तीसगढ़ सरकार ने बतौर आरक्षक सरोजनी साहू को नियुक्ति पत्र दिया है।

संघर्षों भरा सफर रहा
सरोजनी साहू सत्यदर्शन लाइव को बताती है कि,मुश्किलों भरी सफर में परिवार दोस्त सभी किनारे हो गए।यकीन मानिए जिंदगी के सच्चाई का सामना हुआ।मेरी दुनिया जैसे उजड़ गई थी पिताजी के जाने के बाद सब कुछ बदल गया था लोग बदल गए थे।आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब हो गई थी जिसे शब्दो मे बयां कर पाना मुश्किल है।घर से निकलते ही लोग रास्ते से हट जाते थे कही किसी प्रकार से आर्थिक सहयोग न मांग ले।

पिताजी का ख्वाब जो हुआ साकार
पिताजी की इकलौती लाडली बेटी सरोजनी।बचपन में पिताजी अक्सर कहानियां सुनाया करते थे देशभक्ति की।उन्होंने हमेशा आदर्शों की बात कही है। सरोजनी कहती है देश प्रेम और जरूरतमंदों की सेवा जिंदगी का उद्देश्य है।इतने साल मैंने अभाव में बिताए है मुझे पता है क्या बीतती है जब अपने साथ छोड़कर हमेशा के लिए चले जाते है।मेरी बेटी बड़ी होकर देश की सेवा करे यही सपना था पिताजी का।

विजय गुप्ता और धीरेंद्र साहू ने की मदद
मुझे वह दिन अच्छी तरह से याद है जब विजय गुप्ता और धीरेंद्र साहू ने मार्गदर्शन किया।ये नही रहते तो आज मैं आरक्षक नही बन पाती।इनके बताए हुए रास्ते पर चलकर अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हुआ।पुनर्वास योजना के क्रियान्वयन का समयसीमा 4 महीने होता है जिला स्तरीय समिति गठित होने पर।यदि राज्यस्तरीय समिति गठित होती है अधिकतम 6 महीने।लेकिन मुझे 14 साल इन्तेजार करने पड़े।मेरी जैसी न जाने कितनी बेटियां है जो गुमनामी से संघर्ष कर रही है उन्हें न्याय मिले यही सरकार से प्राथना है।

बीजापुर जिला जंगलो से समृद्ध है और यहां के रहवासी प्रकृति से जिंदगी के गुर सीखते है।सरोजनी साहू के साथ परिवार के कोई नही थे तो क्या हुआ इन पेड़ पौधों और जिंदगी हमेशा कुछ न कुछ सिखाते रहे है।आज वह बहुत खुश है क्योंकि देश के लिए कार्य करने का सौभाग्य मिला है।बहुत कम लोगो को अपने वतन के लिए कार्य करने का मौका मिलता है।सत्यदर्शन लाइव सरोजनी साहू की उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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