कमलेश यादव:प्रकृति के गोद मे बसा हुआ खूबसूरत बैतालरानी घाटी (छुईखदान) जो पर्यटकों का मन मोह रही है।सुंदर गहरे हरे रंग की पत्तियों की झलक बार बार हमें बोध कराती है कि हमे इस सृष्टि ने बनाया है।छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव जिले में स्थित यह सघन वन्य क्षेत्र आकर्षण का केंद्र बन गया है किंतु प्रकृति जहा हमे इतनी नियामत देती है वही हम प्रकृति के साथ न्याय नही कर रहे है।पेड़ो की कटाई से लेकर प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण दूषित हो रहा है। पर्यावरण के प्रति सामाजिक जागृति लाने के लिए अनोखी मुहिम की शुरुआत ग्रामीण चिकित्सा सहायक रमेश चंदेल द्वारा की गई है।Hwc गोपालपुर छुईखदान से बसंतपुर साल्हेवारा 25 km की साइक्लिंग करके “जल जंगल जमीन” को प्लास्टिक पालीथिन के प्रदूषण से बचाने का संदेश दिया गया है।
ग्रामीण चिकित्सा सहायक रमेश चंदेल बताते है कि पर्यावरण के प्रति लोगो की उदासीनता हमेशा से ही बड़ी चुनौती रही है बीते कई वर्षों से कोशिश रही है लोगो को पर्यावरण से जोड़ा जाए और इसकी अहमियत से रूबरू कराया जाए।इस मिशन का मकसद लोगो को प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने को प्रेरित करना है।जल जंगल जमीन का संरक्षण धरती के अस्तित्व के लिए बेहद जरूरी है।तभी भावी पीढियों को बेहतर व हरित पृथ्वी की विरासत सौप सकेंगे।जो कार्य हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए करके गए है वही इतिहास फिर से दोहराने की जरूरत है।
हम सभी जानते है मनुष्य का शरीर और प्रकृति एक दूसरे से जुड़े हुए है।पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता से ही सृष्टि चक्र संचालित हो रहा है।पर्यावरण के प्रति लोग सहानुभूति तो जताते है लेकिन फिर भी प्रदूषण फैलाने में आगे रहते है।जबकि हमारे जीवन का आधार जल जंगल जमीन ही है।
जीवन संगिनी का साथ
पर्यावरणविद डॉ.रमेश चंदेल बताते है कि कोई भी रचनात्मक कार्य मेरे अकेले करने से सफल नही हो सकता जब तक परिवार का साथ और सहयोग न हो।मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली मेरी जीवन संगिनी श्रीमती संतोषी चंदेल हमेशा प्रोत्साहित की है।घर मे एक खूबसूरत गार्डन का निर्माण किये है।कई औषधीय पौधे लगाए हुए है।इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए औषतन प्रतिवर्ष 4 लाख औषधि पौधे विभाग के साथ मिलकर लोगो को बांटते है।ताकि लोगो मे जागरूकता और औषधीय महत्व को समझा जा सके।
युवाओ को सन्देश
आधुनिकता की चकाचौंध में हम प्रकृति के प्रति अपनी दायित्व को भूलते जा रहे है।समय रहते यदि इस विषय पर गौर नही किया गया इसका बेहद गम्भीर परिणाम पूरे मानव सभ्यता को भुगतना पड़ेगा।ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर उन्हें संरक्षित करे और प्राकृतिक जंगलो में पेड़ो की कटाई न होने दे।जब भी पर्यटन स्थलों में घूमने के लिए जाए वहाँ किसी प्रकार से प्रदूषण नही फैलाये।
मानव और प्रकृति का एक दूसरे से अटूट संबंध है।मानव का प्रकृति के प्रति कर्तव्य है उसका संरक्षण करना उसे संजोए रखना।जहां प्रकृति मानव जीवन के अलग – अलग पहलुओं को निर्धारित करती है वहीं मानव के क्रियाकलापों से प्रकृति भी प्रभावित होती है और यही प्रभाव कुछ समय बाद मानव के जीवन पर गंभीर असर डालते हैं।फिट इंडिया फ्रेडम रन का संदेश लिए पर्यावरणविद रमेश चंदेल ने जल जंगल जमीन को प्लास्टिक के प्रदूषण से बचाने का संकल्प लिया है।सत्यदर्शन लाइव उनके इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए अपील करता है कि वृक्ष है तो हमारी सांसे चल रही है प्रकृति के महत्व को समझकर इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाया जाय।तभी धरती के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।
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