प्रेरणा…मैं दृष्टिहीन जरूर हूं,लेकिन मैं वो सब कर सकता हूं,जो तुम कर सकते हो…धन्नू लाल देवांगन

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राजनांदगांव:-“ऐसा कौन है जिसमे कमी नही आखिर आसमान के पास भी तो जमीं नही”आज हम बात करेंगे ऐसे शख्श के विषय मे जो जन्म से ही दृष्टिहीन है,फिर भी अपने हौसलों और जज्बे को हमेशा कायम रखा, और अपनी मंजिल को पाने की केवल रास्ता ही नही बनाया बल्कि उसे हासिल भी किया।राजनांदगांव शहर का शासकीय पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी बालिका विद्यालय में व्यख्याता के रूप में पदस्थ धन्नू लाल देवांगन मिसाल है जो कि दृष्टिबाधित होने के बावजूद छात्राओं को पूरे मन से पढ़ाते है।

जिंदगी में संघर्ष तो है खासकर तब जब आपका कोई अंग ठीक से काम न करे।लोगो का देखने का नजरिया ही बदल जाता है।जिंदगी के उतार चढ़ाव के बीच एक शिक्षक का किरदार निभा रहे है।आंखों की रोशनी न सही ज्ञान की रोशनी से विद्यार्थियों के जीवन मे प्रकाश ला रहे है।11वी एवं 12वी के छात्रों को राजनीति शास्त्र नियमित रूप से पढ़ाते है।

अपना काम आप करो इस सिद्धांत में जीने वाले धन्नूलाल देवांगन अपने रोजमर्रा के जीवन का हर छोटी बड़ी काम खुद करते है।समाज को बस यही संदेश देना चाहते है कि हम भी इसी समाज का ही हिस्सा है।हमे सहानुभूति नही सम्मान चाहिए।प्रत्येक मनुष्य में कुछ न कुछ कमियां है इन सबको दरकिनार करते हुए सबसे पहले हम एक इन्सान है।एक इन्द्रिया यदि काम न करे तो क्या हुआ,बाकी सम्भावनाएं का द्वार तो खुला है।

युवाओं और विद्यार्थियों के लिए सन्देश
युवाओं से बस यही कहना चाहते है सम्भावनाएं असीमित है बस अपने कथनी और करनी में सामंजस्य
बिठाकर आगे बढ़े।बेरोजगारी से निराश हताश होने की जरूरत ही नही।काबिलियत को बढ़ाए सफलता एक दिन आपके करीब होगी।पढ़ने वाले विद्यार्थी आलस्य त्यागकर नियमित पठन-पाठन में अपना मन लगाए,दुनिया की कोई ताकत उन्हें आगे बढ़ने से नही रोक सकती।

जिंदगी से हार मानकर बैठे हुए लोगो से यही अपील है प्रयास प्रयास सिर्फ प्रयास..सफलता का कोई शॉर्टकट नही होता।अपने तरफ आते हुए हरेक विपदा रूपी पत्थर को अपने राह की सीढ़ियों में तब्दील करे।जब भी परेशान हो अपने अंतर्मन की आवाज जरूर सुने।वही आपको सही मार्गदर्शन देगा।सत्यदर्शन लाइव की टीम के ओर से ज्ञान के प्रकाश को बिखेरते धन्नूलाल देवांगन जी को नमन।।।।

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