दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के प्रयास करने होंगे”, ऐसी बातें आपने खूब सुनी होंगी, पर सुनकर भूल जाने की हमारी आदत ने ही आज प्राकृतिक संकट पैदा कर दिया है। पर कहते हैं न कि,अंधेरे को चीरने के लिए सिर्फ एक रोशनी काफी है, 11 साल की मान्या हर्षा ऐसी ही एक रोशनी हैं। पेड़ों की कटाई रुक सके इसलिए मान्या ने एक अनोखी पहल की है। वह सब्जी के छिलकों की मदद से कागज बना रही हैं। ईको फ्रेंडली कागज बनाने की उनकी यह सोच अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रही है। सोशल मीडिया पर मान्य की इस पहल को खूब प्रोत्साहन मिल रहा है, इतना ही नहीं यूनाइटेड नेशन्स ने भी मान्या के इस कोशिश की सराहना की है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर मान्या की यह कोशिश हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है।
आपको क्या लगता है कि 11 साल का एक बच्चा लॉकडाउन के दौरान क्या कर रहा होगा? जब अधिकांश बच्चे अपने स्मार्टफोन और वीडियो गेम में व्यस्त थे, बेंगलुरु की मान्या हर्षा समाज में एक व्यापक बदलाव लाने की कोशिशों में लगी हुई थीं। सब्जियों के छिलकों की मदद से मान्या ने इको-सस्टेनेबल पेपर विकसित किया है। इस बारे में मान्य कहती हैं, ‘मैं हर दिन को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाती हूं। मेरा मानना है अपने परिवेश और प्रकृति की देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है। प्याज, लहसुन, टमाटर और आलू के छिलकों को इकट्ठा करके मैंने पेपर तैयार करने की कोशिश की है, जिससे हर साल कटने वाले हजारों-लाखों पेड़ों को सुरक्षित किया जा सके।
मान्या कहती हैं, केवल 10 प्याज के छिलकों का उपयोग करके 2 से 3 A4 आकार की पेपर शीट तैयार की जा सकती है। जिन छिलकों को हम कूड़े में फेंक देते हैं, उन्हें एक अच्छे काम के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। वैसे तो कागज बनाने का उनका पहला प्रयास पूरी तरह विफल रहा, लेकिन वह तकनीक में सुधार करती रहीं और अब विभिन्न रंगों और पैटर्न में छिलकों की मदद से पेपर शीट बना लेती हैं।
मान्या कहती हैं, मैं धरती माता का विनाश नहीं देखना चाहती हूं। वह हमारी मां है और उसके बच्चों के रूप में यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनकी रक्षा करें। मुझे भी ऐसा ही महसूस होता है। शायद मेरे इस प्रयास से प्रकृति के तेजी से हो रहे विनाश को रोका जा सके।