कमलेश यादव:कुदरत ने इतनी खूबसूरत दुनिया बनाई है हरी भरी वादियां,खूबसूरत रंग बिरंगे फूल,अदभुत है उस कुदरती चित्रकार की कहानी।कहते है कला साधना से आती है और कलाकार के खुद के स्वभाव से निखरती है चित्रकार तो चित्रकार है चाहे वह ईश्वर हो या कोई इंसान फर्क सिर्फ इतना है इंसान अपने चित्रों में सांसे नही ला सकता लेकिन हूबहू बना जरूर सकता है।आज की कहानी ऐसी लड़की की है जिसके कला के प्रति असीम स्नेह ने रंगों की इस दुनिया मे अलग पहचान बनाई है।छत्तीसगढ़ के जगदलपुर बस्तर में रहने वाली सुरभि वर्मा अपनी पेंटिंग के बदौलत आकांक्षाओ इच्छाओं और सपनों को एक नया रूप दे रही है।सुरभि वर्मा ने रंगों और कूची से पेंटिंग में इतने पुरस्कार जीते कि लंबी फेहरिस्त बन गई है।
सुरभि कहती है कि बचपन में शौक था आड़ी तिरछी रेखाओं को खींचकर उनमें रंग भरने का। यही शौक उम्र बढ़ने के साथ हुनर में बदल गया।पिताजी श्री श्याम कुमार वर्मा ने हमेशा से ही प्रेरित किया है।आज भी उनकी बातें मेरे जेहन में गूंजती रहती है।माँ श्रीमति मंजू वर्मा ने सिखाया है कि अपने काम के प्रति सदैव समर्पित रहे इस दुनिया मे कुछ भी असम्भव नही है।सुरभि वर्मा अभी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में पीचडी कर रही है।हालांकि वे कहती है मेरी शिक्षा और पेंटिंग दोनों बिल्कुल अलग है लेकिन पेंटिंग मेरी हॉबी है मैं दोनों में संतुलन बनाकर रखी हुई हूं।दोस्तो रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने भी उत्साहवर्धन किया है।
देश के विभिन्न स्थानों में
सुरभि वर्मा 22 स्वर्ण पदक के साथ देश के विभिन्न राज्यो और बड़े शहरों में अपनी कला की छाप छोड़ चुकी है ।उन्होंने बताया कि चित्रकला का कोई खास प्रशिक्षण नहीं लिया है।समय बीतने के साथ धीरे-धीरे लोगों ने चित्रों की प्रशंसा करना शुरू किया।जिससे उत्साह औरआत्मविश्वास दोनों ही बढ़ा है। 2013 से 2019 के बीच बैंगलोर कर्नाटक करनाल हरियाणा बेहरामपुर ओडिसा आंध्रप्रदेश भुनेश्वर बीकानेर,राजस्थान गुजरात भोपाल कोल्हापुर महाराष्ट्र जैसे जगहों में जाकर छत्तीसगढ़ के नाम को रोशन की है।जोनल अवार्ड(गोल्ड सिल्वर मेडल) एसोसियेशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी
बस्तर में निःशुल्क ट्रेनिंग सेंटर खोलने का सपना
बच्चों के अंदर प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं होती है। जरूरत है इन प्रतिभाओं को उकरेने की और चित्रकला भी इसका एक श्रेष्ठ माध्यम है। चित्रकला के जरिए बच्चों में एकाग्रता और रचनात्मक भाव का विकास किया जाना सरल है। इससे बच्चों में सोचने, समझने, परखने और जानने की प्रवृत्ति का विकास होता है।हमारे बस्तर के जंगलो के बीच मे अनेको प्रतिभाएं इन्तेजार कर रही है।उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है।
रिटायरमेंट कभी नही होता
रिटायरमेंट होने के बाद कई लोग सोचते है जिंदगी थम सी गई है उन्हें भी मैं अपनी मुहिम में शामिल करना चाहती हु।जिंदगी चलने का नाम है रिटायरमेंट कभी भी नही होता मेरा मानना है चित्रकला से रचनात्मक प्रवृत्ति को मिलता है बढ़ावा।बदलते वक्त में एकाकीपन का दर्द समाज मे देखने को मिल रहा है बस मैं चाहती हु जिंदगी एक बार मिली है क्यो न खुशी के साथ जीये।चाहे उम्र के किसी भी पड़ाव में हो मैं चित्रकला सभी के साथ साझा करते हुए मिलकर आगे बढ़ने की योजना बना रही हूं क्योकि कला के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है।
सुरभि वर्मा सत्यदर्शन को बताती है कि दिमाग में पेंटिंग को लेकर नई-नई थीम चलती रहती हैं।वर्तमान में जो भी इस फील्ड में है वे निरन्तर प्रयास करते रहे हालांकि बदलते परिदृश्य में कलाकारों को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।कोई तो जौहरी आएगा जो सही मूल्यांकन करेगा बस अपने काम को ईमानदारी और निष्ठा के साथ करते रहे क्योकि कर्म ही हमारे हाथ मे है बाकी ऊपर वाले कि मर्जी।सत्यदर्शन लाइव चैनल सुरभि वर्मा की उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।
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