राजनांदगांव। कोरोना संक्रमण के दौर में एक तरफ जहां मुसीबतों ने अपने क्रूर तेवर दिखाए, वहीं भगवान का दूसरा रूप माने जाने वाले डॉक्टर्स ने उन मुसीबतों को लांघकर सेवा के कई प्रभावशाली पर्याय लिख दिए। चारों ओर कोरोना महामारी फैलने के बावजूद डॉक्टर अपनी भूमिका तत्परता से निभा रहे हैं और ऐसे में थैंक्यू डॉक्टर बोलकर उनका शुक्रिया तो करना ही चाहिए।
एक जुलाई को डॉक्टर्स-डे है। डॉक्टर्स के योगदान को सम्मान देने के लिए देश में हर साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। जिंदगी में डॉक्टर का कितना महत्व है, यह लगभग हर इंसान अच्छी तरह से जानता है। डॉक्टर ही इंसान को उसके मर्ज से उबारता है और जो व्यक्ति समाज के लिए इतना महत्वपूर्ण कार्य करता है, उसके लिए भी एक दिन होना चाहिए। एक जुलाई को वही खास दिन आ रहा है डॉक्टर्स डे। कोरोना संक्रमण जैसे कठिन दौर में राजनांदगांव जिले में भी डॉक्टरों ने सेवा की कई नई रोचक और प्रेरक तस्वीरें उकेरीं हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी बताते हैं, शासकीय हों या निजी, एक श्रेष्ठ डॉक्टर वही हो सकता है जिसके लिए मरीज की जिंदगी बचाना पहली प्राथमिकता हो। किसी भी डॉक्टर के मन-मस्तिष्क में सेवाभाव का होना बेहद जरूरी है। कोरोना संक्रमण पर भी नियंत्रण करने में सेवाभाव ही कारगर सिद्ध हुआ है। कोरोना संक्रमण के दौर में जिले के 1,599 गांव में एहतियाती स्वास्थ्य सुरक्षा किसी चुनौती से कम नहीं थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने सेवा और समर्पण के साथ मुस्तैदी से कार्य किया और कोरोना पर नियंत्रण करने में बड़ी सफलता भी हासिल हुई।
इधर, डॉक्टर्स-डे के ठीक पहले जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बीएल कुमरे के साथ एक संयोग जुड़ गया है। 30 जून को वह सेवानिवृत्त हो गए। कोरोना संक्रमण के दौरान जिले में टीकाकरण अभियान की कमान संभालने वाले डॉ. कुमरे बताते हैं, स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों पर रहकर सेवा देते हुए यूं तो बरसों गुजर गए, लेकिन कोरोना संक्रमण का असहज दौर मुझे हमेशा याद रहेगा। यह ऐसा दौर रहा, जिसमें मैंने चारों और डर और दर्द तो देखे ही, सेवा की भी कई नई तस्वीरें बनती देखी। डॉक्टरों की संजीदगी देखी। स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों ने बिना थके-बिना हारे कई-कई दिनों तक लगातार ड्यूटी कीए जो मेरे लिए काफी प्रेरक रहा।
…इसलिए मनाया जाता है डॉक्टर्स-डे
डॉक्टर को हिंदी में चिकित्सक, वैद्य आदि नामों से जाना जाता है। भारत में प्राचीन काल से ही वैद्य परंपरा रही है, जिनमें धनवन्तरि, चरक, सुश्रुत, जीवक आदि रहे हैं। धनवन्तरि को तो भगवान के रूप में पूजा जाता है। भारत में 1 जुलाई को विधानचंद्र रॉय के जन्म दिन के रूप में डॉक्टर्स-डे मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी। देश के महान चिकित्सक डॉ. बिधानचंद्र रॉय को सम्मान देने के लिए यह मनाया जाता है। उनका जन्म दिवस और पुण्यतिथि दोनों इसी तारीख को पड़ती है। इस दिन डॉक्टरों के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है। दुनिया में किसान और जवान के समान ही डॉक्टर की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है, जिनके बिना समाज की कल्पना असंभव है। रोगी जब डॉक्टर के पास जाता है तो वह याचक के रूप में होता है और डॉक्टर दानी। डॉक्टर रोगी को मौत के मुंह से भी निकालकर ले आता है। डॉक्टर आयुर्वेदिक, ऐलोपैथी, यूनानी आदि अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों के जरिए मरीज को ठीक करने का प्रयास करता है।