मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है…समाज में जो देखता है, उससे सीखता है…बढ़ते साइबर क्राइम के लिए सोशल मीडिया पर हमें अपनी सुरक्षा के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए…आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य के जीवन में किसी भी चीज की अधिकता जहर के समान है

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आज इंटरनेट के दौर में सोशल मीडिया अकेलेपन के साथी के तौर पर उभरा है. इसकी वजह से हम मीलों दूर बैठ कर भी अपनों से बात कर सकते हैं, उन्हें देख सकते हैं. साथ ही नए दोस्त भी बना सकते हैं. यही वजह है कि आज सोशल मीडिया पर हर उम्र के लोग मिल जाएंगे. हालांकि इसका ज्यादा इस्तेमाल जहां हमें खुशी देता है और अकेलेपन में यह साथी बनकर साथ निभाता है. ऐसे में जहां इसके कुछ फायदे हैं, वहीं कुछ नुकसान भी हैं. इसके मद्देनजर सोशल मीडिया के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए. कुल मिला कर देखें तो सोशल मीडिया की लत कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है. वहीं अब सोशल मीडिया पर साइबर क्राइम भी बढ़ने लगा है.ऐसे में इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ एहतियात जरूरी हैं.

हर किसी को न बनाएं दोस्‍त
अक्सर सोशल मीडिया पर जुड़ने के बाद सबको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजे जाना एक तरह से खतरे को मोल लेना है. ऐसे में न तो अनजान लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजें और न ही स्वीकार करने में जल्दबाजी करें. हर फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करने से पहले उसके प्रोफाइल को अच्छी तरह जांच लें. उसकी पोस्ट को देख लें.ताकि समझ में आ जाए कि वह किस तरह का व्यक्ति है.

पर्सनल मैसेज न भेजें
सोशल मीडिया की दुनिया भी अलग ही दुनिया है. यहां हर कोई अपनी बात रखने को आजाद है. मगर इन्‍हीं लोगों में कुछ लोग फ्रॉड आदि भी कर सकते हैं. इसलिए महिला हो या पुरुष अगर आप किसी व्‍यक्ति को अच्‍छी तरह से नहीं जानते हैं, तो उसे पर्सनल मैसेज भेजने से बचें. किसी भी तरह की चैट न करें.

सोच समझ कर करें शब्‍दों का चुनाव
फेसबुक हो या ट्विटर या कोई अन्‍य सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म आपको अपने शब्‍दों का चुनाव सोच समझकर ही करना चाहिए. क्‍योंकि आपका लिखा दूर तक जाता है और उससे लोग आपके लिए एक राय भी बनाते हैं. इसलिए आप जो भी लिखें वह अच्‍छे, चुनिंदा शब्‍दों के इस्‍तेमाल से लिखा गया हो. उसमें किसी भी तरह के अश्‍लील या किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाले नहीं होने चाहिए.आपकी बात ऐसी होनी चाहिए जो लोगों पर असर छोड़े न कि उन्‍हें उकसाए या किसी तरह की ठेस पहुंचाए.

निजी पलों की तस्‍वीरें शेयर न करें
कुछ लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने हर पल की तस्‍वीरें शेयर करते हैं. यह अपनी भावनाओं को जाहिर करने का एक तरीका भी है. अपनी बात, तस्‍वीरें अपने दोस्‍तों,करीबियों के साथ शेयर करने का प्‍लेटफॉर्म ही है सोशल मीडिया. मगर इस पर हर तरह के लोग होते हैं और यह संभव ही नहीं कि आपको हर किसी के बारे में पूरी जानकारी हो. इसलिए इस पर अपने निजी पलों की तस्‍वीरें शेयर करने से बचें.

मानसिक सेहत पर बुरा असर
कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया की लत मानसिक सेहत पर बुरा असर डाल रही है. पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में मीडिया, तकनीक और सेहत पर काम करने वाले ब्रायन प्रीमाक का कहना है कि सोशल मीडिया के ज्‍यादा इस्‍तेमाल से डिप्रेशन, चिंता और सामाजिक रूप से आपके अलग थलग होने की संभावना बढ़ती है.

तय करें एक समय
अति किसी भी चीज की बुरी होती है और सोशल मीडिया अपवाद नहीं है. बच्चों पर इसे लागू करना बेहद जरूरी है क्योंकि उनके अंदर यह समझने का विवेक नहीं है कि किसी चीज का कितना इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं अपने लिए भी सोशल मीडिया पर समय बिताने का एक वक्‍त तय करें. आप दिन के कुछ पलों में सोशल मीडिया से बाहर निकल परिवार और दोस्तों के साथ सोशल हो जाइए. यकीन मानिए आपको बहुत खुशी मिलेगी.

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में जो देखता है, उससे सीखता है। पुराने समय में लोग चौपाल पर सामाजिक मुद्दों की चर्चा कर समाधान निकालते थे। नई टेक्नोलॉजी के चलते सोशल नेटवर्किंग साइटें विकसित हो गई। सोशल मीडिया के फायदे व नुकसान दोनों है। ये निर्भर करता है कि हम कितने सोशल हैं। कोई सूचना जल्दबाजी में पोस्ट कर दूसरों से शेयर कर लेते। सूचना के सकारात्मक व नकारात्मक पहलूओं को नहीं देखते कि इसका समाज पर क्या असर पड़ेगा।

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