यात्रा संस्मरण….. मैनपाट का धुंधली पहाड़ियां… आइए आपको ले जाते है प्रकृति के गोद मे पूजा देवांगन के साथ….. चारो ओर हरे-भरे पहाड़,रंग-बिरंगे फूल….

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यात्रा किस्मत से होती है धन-दौलत,समय-साधन चाहे जो हो पर अगर आपकी किस्मत में होगा तभी घूम सकोगे.तो व्यस्तताओं के बीच हमे भी किस्मत ने घूमने का मौका दे ही दिया।।।।

अम्बिकापुर से 55km दूर है #मैनपाट के पहाड़ और घाटियां। जिसके रास्तों में चलते हुए ऐसा लगता है मानो प्रकृति अपनी विहंगम छवि का प्रदर्शन कर रही है, वो पाटिय स्थल वो घाटी भरे मोड़,औऱ खाइयों से लिपटा रास्ता मानो कहीं और ले जाता है। सुना है तेज़ सर्दियों में माहौल कुछ और ही होता है। रास्ते भर तिब्बती शरणार्थियों के रंग बिरंगे झंडे, आगुंतकों के स्वागत को सजे हैं। उन खुली वादियों के बीच घूमने का आनंद कुछ अलग सा है ।

वो #उल्टापानी की ढलान से चढ़ाव की ओर बहता पानी,#टाइगरपॉइंट में दहाड़ की आवाज़ के साथ गिरता जलप्रपात, #जलजली की हिलती दलदली ज़मीन, #घुनघुट्टाडैम का वह विशालकाय जलाशय, #सेदम के मनोरम जलप्रपात का शांत गांव के बीच मद्धम शोर ,अहा… कितना खूबसूरत है सबकुछ। वो मक्का,आलू,गन्ने और सरसों से लहलहाते खेत और फैली विभिन्न जनजातियों के रहन सहन,चलती निगाहों से भरपूर देखने को मिले। प्रकृति मुझे अपनी ओर बिल्कुल किसी प्रेमी की तरह आकर्षित करती है।

(उपरोक्त यात्रा संस्मरण पूजा देवांगन के फेसबुक वाल से साभार)

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