भरतनाट्यम नृत्य को नया आयाम दे रही छत्तीसगढ़ की बेटी खुशी जैन…अंतरराष्ट्रीय मंचो पर मिला कई सम्मान…भारत हमेशा से ही अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता रहा है

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कमलेश यादव,रायपुर:शास्त्रों में कहा गया है “शिवो भूत्वा शिवम यजेत” अर्थात शिव को पूजते पूजते स्वयं शिव हो जाना। कला और कलाकार के बीच यही सम्बन्ध होता है। छत्तीसगढ़ की बेटी खुशी जैन ने भरतनाट्यम नृत्य से पूरे भारत के नाम को रौशन कर रही है। वे कहती हैं, मेरे लिए भरतनाट्यम सिर्फ एक नृत्य विधा नहीं मेरी जिंदगी है, सांसे है। आज भले ही लोग इस कला को भूल रहे हैं लेकिन इस संस्कृति को बचाये रखने के लिये खुशी जैन, युवाओं को इस दिशा की ओर जोड़ने का प्रयास कर रही है।

बचपन से ही खुशी के नन्ही आंखों में ढ़ेरो सपने थे। 5 वर्ष की उम्र से ही नृत्य के प्रति रुझान, आने वाला भविष्य साफ साफ दिखाई दे रहा था।भरतनाट्यम की मास्टर डिग्री इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से प्राप्त की है। आज खुशी जैन अनेक युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।

सपने को आकार देने में माँ सुषमा श्री और दीदी का बहुत बड़ा योगदान है।सामान्यतः लोग ऊँचाइयों को देखते हैं, लेकिन उस शिखर तक पहुँचने में जिन कठिनाइयों का सामना होता है, उसकी कल्पना भी लोग नही कर सकते। यकीन मानिए यही शिक्षा जिंदगी के हरेक मोड़ पर साहस बनकर साथ देती है। वे कहती हैं, मेरी माँ ने परछाई की तरह प्रेरणा बनकर हमेशा मार्ग प्रशस्त किया है। आर्थिक रूप से दिक्कत होने के वजह से दीदी की नृत्य की शिक्षा अधूरी रह गई।

आज भी मुझे वह दिन याद है, स्कूल के वार्षिकोत्सव के समय, नृत्य की तैयारी पूरी हो गई थी लेकिन ठीक 2 दिन पहले एक्सीडेंट हो गया था। आंखों के सामने अजीब सा मंजर था, सोच रही थी कैसे कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दूँ। लेकिन मेरी अंतरात्मा की आवाज धीरे से कानों में गूंज रही थी। “उठो खुशी और आगे बढ़ो कोई भी बाधा आगे बढ़ने से नही रोक सकती”।अंततः इस स्थिति में भी कार्यक्रम में भाग लेकर अपने साहस का परिचय दी है।

राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचो पर मिला सम्मान
दुबई और सिंगापुर में हुए इंटरनेशनल कल्चरल टूर्नामेंट में उन्हें पहला स्थान प्राप्त हुआ है। कटक में नृत्य भूषण शिरोमणि एवं मयूरी पुरस्कार उन्हें मिल चुका है। अभिनव कला सम्मान, नृत्य कला रत्न सम्मान, नृत्य अर्पण सम्मान, प्यूचर टैलेंटेड अवार्ड, कला प्रोत्साहन सहित सम्मान सैकड़ो अवार्ड मिल चुके हैं। यह सम्मान वास्तव में वर्षो की साधना का प्रतिफल है। नृत्यांगना खुशी जैन का राज्य युवा उत्सव रायगढ़ में भरतनाट्यम नृत्य, शास्त्रीय संगीत की मधुर धुन और विभिन्न मुद्राओं और भंग-भंगिमाओं का ऐसा समावेश देखने को मिला कि दर्शक एक टक निहारते रह गए।

युवाओं से दो बातें
सभी युवाओं के लिए यही कहूंगी कि “मन के जीते जीत मन के हारे हार” दूसरो से मुक़ाबला सब करते हैं मगर खुद से मुकाबला करो और हर दिन कुछ नया और अच्छा करो! वर्तमान में युवक-युवतियां पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी नृत्य के तरफ आकर्षित हैं।शास्त्रीय नृत्य और संगीत से उनका नाता न के बराबर है। ऐसे में भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने की जरूरत है।

माथे पर एक बड़ी बिंदी, कजरारी बड़ी बड़ी आँखों के साथ साड़ी और आभूषण में लिपटी हुई नृत्यांगना खुशी जैन की छवि नृत्य करते हुए स्वयं ईश्वर में एकाकार हो जाती है। पूरे भारत के लिए यह हर्ष का विषय है। इस प्राचीन विधा की विरासत को आगे बढ़ा रही है। अपने जीवन में आयी कठिनाईयों का मुकाबला कर ऐसा मुकाम बनाया है कि छत्तीसगढ़ में भरतनाट्यम को नई पहचान मिल रही है। सत्यदर्शन की पूरी टीम खुशी जैन की उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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