सपना पालीथीन मुक्त गांव का.…..युवा कलमकार विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की कलम से…. *पालीथीन….*.मौत की सुपारी…

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एक गांव एक बुढ़िया रहती थी,जिसका भरण पोषण के लिए एक गाय के सिवा और कोई नहीं था | बुढ़िया रोज गाय का दूध पीती थी,बुढ़िया गाय से बहुत प्यार करती थी,रोज गाय दो लीटर दूध देती थी,एक लीटर दूध बेच दिया करती थी और बेचने के बाद जो कुछ पैसे मिलते थे,उन पैसों से पेट पालती थी | गांव के मास्टर जी दूध खरीद लिया करते थे |
एक दिन गाय बंधी डोरी के टूट जाने से बाहर सेठ की दुकान के पास कचरे के ढेर की पालीथीन युक्त सामान को खा लिया,बुढ़िया ने जब देखा तो लाकर फिर से बांध दिया | दूसरे दिन से गाय बीमार रहने लगी,तीसरे दिन गाय का पेट अचानक फुल जाने से मौत हो गई | बुढ़िया को संदेह हो गया तो सरपंच से दरख़्वास्त कर गाय का पोस्टमार्टम कराया गया तो पेट में पालीथीन होना पाया गया | बुढ़िया की आखें भर गई |
बुढ़िया ने हर रोज उठकर गांव से पालीथीन उठाना शुरू किया और नियत गड्ढे पर फेंकने लगी,गांव के जागरूक लोग बुढ़िया के मिशन में शामिल हो गए,कुछ महीनों बाद गांव से पालीथीन स्वच्छ हो गया |
गांव के सरपंच साहब ने बुढ़िया का दर्द समझते हुए और सेवा को देखकर एक गाय दान कर दिया,बुढ़िया हर रोज लोगों को जागरूक करने लगी समझाने लगी,लोगों ने भी पालीथीन मुक्त गांव का संकल्प लिया | बुढ़िया हमेशा लोगों से कहती-
‘पालीथीन से जब गाय मरी,
फिर,क्या औकात तुम्हारी,
चलो संवारो धरती मां को तुम,
पालीथीन प्रयोग बंद करो तुम,
चलो उठो तुम बच्चे बूढ़े जवान,
पालीथीन मुक्त देश हो महान |
*✍विश्वनाथ देवांगन”मुस्कुराता बस्तर”*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़

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