कमलेश यादव,रायपुर:जो अपनी वर्तमान स्थिति को चुनौती देते हुए मेहनत और जज्बे से अपने भाग्य को बदलने का इरादा रखते हैं, उनसे शायद ही सफ़लता कभी मुंह मोड़ती है.आज हम बात करेंगे ऐसी ही लड़की के बारे में जिन्होंने बीहड़ जंगलो के बीच अपने ख्वाबो को हकीकत में बदलने की कोशिश की है।विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की यह छात्रा अपने गांव में सबसे अधिक पढ़ाई करने वाली बन गई है।धमतरी जिले के नगरी विकासखण्ड में घोर जंगलो के बीच बसा गांव खड़का जहा जाने के लिए रास्ता भी ठीक से नही है।इस गांव में ज्यादातर विशेष कमार जनजातियों के लोग निवास करते है।बिटिया लेखनी नेताम पिता दशरथ नेताम डॉक्टर बनकर गांव में रहने वाले लोगो की सेवा करनी चाहती है।अभी वर्तमान में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा है।गौरतलब है कि यह गांव अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है फिर भी बिटिया लेखनी नेताम ने अपनी पढ़ाई को निरन्तर जारी रखी हुई है।
पिताजी दशरथ नेताम ने बिटिया को हमेशा से ही प्रोत्साहित किए है।शासन से भी मदद की गुहार लगाया है ताकि पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न आये।माताजी गंगा बाई की आंखे नम हो जाती है और गर्व से कहती है कि हमारे समाज मे बेटियों को पढ़ाना गलत समझा जाता था लेकिन अब हमारी बेटी ने समाज की कुरीतियों को गलत साबित कर दिया है।चूंकि यह गांव काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र है घनघोर जंगलो के बीच मे इस बिटिया के ख़्वाब बहुत बड़े है।
कमार जनजातियों के लिए भारत सरकार ने कई प्रकार की योजनाएं लागू की है।इन्हें जंगलो और पहाड़ो के बीच ही रहना पसंद था लेकिन अब वक्त बदल रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में भी बच्चे आगे बढ़ रहे है।बीहड़ जंगलो में भी अनगिनत प्रतिभा छिपी हुई है बस उन्हें पंख चाहिए उड़ने के लिए।सत्यदर्शन लाइव इन्ही प्रतिभाओं को तराशने का काम कर रही है।यदि आप बिटिया के पढ़ाई के लिए मार्गदर्शन या सहयोग करना चाहते है तो हमे जरूर लिखे।सकारात्मक खबर के साथ ही हम समाज मे बदलाव का साक्षी बन रहे है।बिटिया लेखनी नेताम के जज्बे को हम सलाम करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है।
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