छत्तीसगढ़ की बेटी कु. रेशमा विश्वकर्मा की प्रेरणादायक कहानी…बिटिया श्रवणबाधित होते हुए भी पढ़ाई में सफलता की नई कीर्तिमान रच रही है

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मैं बहुत हैरान होता हूं जब कोई कहता है- अरे बेटी हो  गई… अब क्या होगा? मैं तो कहता हूं बेटियां तो लक्ष्मी होती हैं, पीढ़ी के सपनों में रंग भर देती हैं…। मेरी बेटी रेशमा विश्वकर्मा ने हमारी पीढ़ियों को गर्व से भर दिया। एक ऐसा सपना जो मां की आंखों में सजकर एक पिता के ह्रदय से होते हुए बिटिया तक पहुंचा, तो उसने इसे जीवन का लक्ष्य बना लिया। और यह सपना उसने अपने बूते कैसे पूरा कर दिखाया, पता ही नहीं चला। ऐसा एक बेटी ही कर सकती है। मैं आज बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मेरी बिटिया रेशमा विश्वकर्मा श्रवणबाधित होते हुए सफलता की नई कीर्तिमान रच रही है।यह कहते हुए रेशमा के पिता श्री भुनेश्वर लाल विश्वकर्मा भावुक हो जाते हैं।

छतीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के आदिवासी क्षेत्र मोहला विकासखंड की एक ऐसी छात्रा,जिसने अपनी शारीरिक कमजोरी को अपनी ताकत बनाते हुए न सिर्फ दसवीं में 89 % हासिल किया साथ ही साथ स्कूल शिक्षा विभाग के पढ़ई तुंहर दुआर के लोकप्रिय कार्यक्रम गुरु तुझे सलाम में राजनांदगांव जिले का प्रदेश स्तर पर प्रतिनिधित्व कर अपनी प्रतिभा का लोहा पुरे प्रदेश में मनवाया है । हम बात कर रहे है मोहला ब्लॉक के हायर सेकेंडरी स्कूल मार्री में कक्षा 12 वी की छात्रा कुमारी रेशमा विश्वकर्मा की | रेशमा श्रवणबाधित है । वह एक कान से सुन नही सकती है । उसकी इस कमजोरी के कारण बहुत से लोगों का मानना था कि ये बालिका ज्यादा पढ़ नही पाएगी लेकिन रेशमा के पिता श्री भुनेश्वर लाल विश्वकर्मा और माता श्रीमती सोनुला विश्वकर्मा ने हार नहीं मानी और लगातार अपनी बिटिया का हौसला बढ़ाते व उसे उचित मार्गदर्शन देते रहे । इसी हौसले के बदौलत आज रेशमा की एक अलग पहचान और पूरा वनांचल उन्हें पढ़ाई व स्काउट गाइड में एक अच्छे लीडर के रूप में जानता है ।

दसवीं की टॉपर कुमारी रेशमा श्रवणबाधित जरूरी है , लेकिन उन्होंने कभी इस चीज़ को अपनी पढ़ाई के बीच मे आने नहीं दिया | रेशमा अपनी कमजोरी को दरकिनार करते हुए लगातार मेहनत करती रही है।उनके इस कार्य में शाला के प्राचार्य श्री एस एस मंडलोई , शिक्षक श्री के के वर्मा , बी के अलेन्द्र , पी के जंघेल , के के भानेन्द्र , टंडेकर जी , यदु जी , बांधव जी का विशेष सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहा है । शिक्षको ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि रेशमा श्रवणबाधित है और उसे किसी विषय वस्तु को सुन कर समझने में किसी तरह की दिक्कत न हो | सभी के सहयोग और मार्गदर्शन से रेशमा कक्षा 10 वी में 89 % के साथ पूरे मोहला ब्लॉक में द्वितीय स्थान हासिल किया।

गुरु तुझे सलाम में जिले का प्रतिनिधित्व
पढ़ई तुंहर दुआर योजना के अंतर्गत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा गुरु तुझे सलाम कार्यक्रम चलाया गया । कु . रेशमा को श्रवणबाधित होने के बावजूद भी अपनी बातों से सभी को प्रभावित करते हुए पहले जिले में फिर जिले की तरफ से राज्य में प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी बातों को रखने का मौका मिला । नियमित ऑनलाइन वर्चुअल क्लास कक्षा 12 वी गणित संकाय की छात्रा होने के कारण रेशमा को कोरोना काल स्कूल बंद होने के कारण अपने भविष्य की चिंता होने लगी , लेकिन रेशमा के पिता ने इस मुश्किल घड़ी में भी अपनी बिटिया का साथ नहीं छोड़ा और उसे एक नया एंड्रॉयड फ़ोन ले कर दिया | अब रेशमा अपने पर्सनल फ़ोन से नियमित ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रही है । विभिन्न आयोजनों में अव्वल रेशमा पढ़ाई में अलावा ब्लॉक और जिला स्तरीय कई कार्यक्रमो में अव्वल रही है | विज्ञान प्रदर्शनीय , निबंध लेखन , स्काउट गाइड शिविर , सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ सभी में आगे रही है ।

शाला स्तरीय कार्यक्रमो में भी वह अन्य छात्राओं की लीडर रहती है । चर्चा के दौरान रेशमा ने बताया कि उसकी सफलता में उसकी पिता श्री भुनेश्वर लाल विश्वकर्मा और माता श्रीमती सोनुला विश्वकर्मा , भाई प्रदीप , बहन दीपिका और कुंती का विशेष योगदान है । रेशमा परिवार और प्राथमिक शाला , माध्यमिक शाला और हाई स्कूल के समस्त शिक्षक उसकी ताकत और प्रेरणास्रोत है । शिक्षकों ने रेशमा को सामान्य बच्चों की तरह सभी कार्यों को करने की जिम्मेदारी देते रहे जिससे उसमें आत्मविश्वास का संचार होते गया । इसी का परिणाम है कि आज रेशमा श्रवणबाधित होते हुए भी एक सामान्य जिंदगी जी रही है और पढ़ाई के मामले में दूसरे बच्चो को जमकर टक्कर दे रही है । रेशमा के पिता संकुल शैक्षिक समन्वयक है , इसलिए पिता का विशेष सहयोग उसे अपने पढ़ाई में मिलता रहता है । रेशमा का सपना है कि वह देश का एक जिम्मेदार और स्वालम्बी नागरिक बने तथा दूसरे दिव्यांग बच्चों के लिए मिशाल कायम करें ।

पढ़ई तुहर दुआर योजना और स्कूल शिक्षा विभाग की इस पहल के सम्बंध में उसका कहना है कि जिन परिस्थितियों में हमारे आदरणीय शिक्षक हम विद्यार्थियों के घर तक पहुँच कर हमें पढ़ाई की सुविधा दे रहे है । ये हम सब के सदेव अविस्मरणीय रहेगा और छत्तीसगढ़ राज्य पूरे भारत के लिये गौरवशाली इतिहास की पहचान देगा।

प्रतिभा कभी सुविधाओं की मोहताज नही होती है।कु. रेशमा की कहानी गांव की सैकड़ों बेटियों के भविष्य की राह आसान कर दी है।बेटियां अपने सपनों में रंग भरने को तैयार है।वाकई में हमारा देश बदल रहा है गांव में प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का समान अवसर मिल रहा है ।बिटिया का सपना है इंजीनियर बनने का।सत्यदर्शन लाइव ईश्वर से यही प्रार्थना करता है कि बिटिया रेशमा की सारे सपनें पूरे हो और देश के नाम को रोशन करे।

Special thanks:राजेन्द्र कुमार देवांगन , सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी मोहला जिला राजनांदगांव
चन्द्रेश ठाकुर,जनसंपर्क अधिकारी जगदलपुर

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