प्राकृतिक सौदर्य से भरे इस गांव में रोज 70-80 लोग आते हैं
पुणे से 100 किमी दूर महाबलेश्वर हिल स्टेशन के पहाड़ों में बसा है भिलारा गांव
यदि आप पर्यटन पर जाने की सोच रहे हैं, तो पुणे से 100 किमी दूर सतारा जिले का भिलार गांव बेहतर विकल्प हाे सकता है। इसे किताबों का गांव कहा जाता है। महाराष्ट्र सरकार और मराठी विकास संस्थान की ओर से यहां गांव के 35 घरों में लाइब्रेरी सेवा शुरू की गई है।
यहां घरों में या फिर लॉन में झूलते हुए भी आप किताबें पढ़ने का आनंद ले सकते हैं। पाठकों के लिए यह सेवा पूरी तरह नि:शुल्क है, बशर्ते आप कोरोनावायरस से बचने के सभी ऐहतियात बरतें। यहां विभिन्न विषय से संबंधित करीब 50 हजार किताबें मुहैय्या कराई गई हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से भरे इस गांव में रोज 70-80 लोग आ रहे हैं, जबकि छुटिट्यों में यह संख्या बढ़कर 150 तक पहुंच जाती है। गांव में 22 घरों ने न्यूनतम शुल्क के साथ बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए लाॅजिंग की सुविधा भी देनी शुरू कर दी है। अगर आप चाय-नाश्ते के साथ पुस्तकों को पढ़ना चाहते हैं, तो यह सुविधा भी यहां मौजूद है।
ऑनलाइन पुस्तकों की सुविधा भी
ऑनलाइन पुस्तकों की भी सुविधा यहां दी जा रही है। भिलार गांव महाबलेश्वर हिल स्टेशन के पास सुंदर पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। इस गांव के आसपास स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है। साल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पर्यटन लाइब्रेरी सेवा की शुरूवात की थी।
लॉकडाउन के चलते गांव में लोगों के आने पर पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन अब सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क व कोरोना से बचने के तमाम उपायों व नियमों का पालन करने वाले पाठकों को गांव मे आने की अनुमति दे दी गई है। चूंकि यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं इसलिए यहां कई घरों में लॉजिंग सुविधा भी शुरू हो गई है।
झूले पर आराम से पढ़िए मनपसंद किताबें
आसपास के लोगों ने अपने घरों में आराम कुर्सी, झूले आदि भी लगवा लिए हैं ताकि पुस्तक प्रेमी इसका भरपूर आनंद ले सकें। राज्य मराठी विकास संस्थान के डायरेक्टर संजय पाटील ने बताया कि कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद यहां लाइब्रेरी बंद कर दी गई थी, लेकिन अब यहां यह सुविधा शुरू कर दी है ताकि पुस्तक प्रेमी पर्यटन का भी आनंद ले सकें। नागपुर से आए सुनील देशपांडे बताते हैं कि यह सबसे सुरक्षित पर्यटन है।
लाइब्रेरी में हर विषय की किताबें, बच्चों के लिए भी
यहां लाइब्रेरी में साहित्य, कविता, धर्म, महिला, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं से संबंधित विभिन्न पुस्तकें उपलब्ध हैं। बच्चों के लिए भी एक बड़ा सेक्शन बनाया गया है। भिलार में रहने, खाने के लिए भी न्यूनतम शुल्क लिया जाता है। रोज के चाय-नाश्ते का शुल्क 200 रुपए तक लिया जाता है। जबकि परिवार के 4 सदस्यों के लिए रुकने पर डेढ़ से दाे हजार रुपए लिए जाते हैं।