आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने का एक अच्छा तरीका…बांस की बोतल के बाद अब बांस के दीये बना रहे हैं आदिवासी

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मध्य प्रदेश के झाबुआ ज़िले के गांव के कई युवा आदिवासी बांस कला में दूसरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. एक हाई स्कूल ड्रॉपआउट के नेतृत्व में हो रहे इस काम का उद्देश्य न केवल बांस के व्यावसायिक उपयोग के माध्यम से आजीविका प्रदान करना है, बल्कि गुजरात और राजस्थान में प्रवास को प्रतिबंधित करना है. बांस प्लास्टिक के एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है, जो न सिर्फ़ प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने में मददगार है. बल्कि रोज़गार देने में भी सक्षम है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णा और लता निनामा नाम का एक कपल इसके इंचार्ज हैं. दोनों ने पिछले 2 वर्षों से क्रिएटिव बांस उत्पाद बनाने में दूसरों को भी प्रशिक्षित किया है. इनका लक्ष्य 2030 तक 20,000 आदिवासी परिवारों के प्रवास को रोकना है.

शिवगंगा समग्र ग्रामविकास परिषद नाम के NGO ने सिर्फ 25-50 लोगों के साथ यह प्रशिक्षण शुरू किया. अब 25 गांवों से संख्या 900 से अधिक है. दीवाली के ठीक एक महीने पहले, नए प्रोडक्ट्स में दिए शामिल हैं, जिसमें 350 रुपये की कीमत के छह छोटे दीया का एक सेट शामिल है. कृष्णा ने कहा कि, “हमें लगभग 1 लाख रुपये के ऑर्डर मिले हैं. मेघनगर शहर में बांस प्रशिक्षण केंद्र में 40 और गांवों में 20 सहित 60 प्रशिक्षित आदिवासियों की एक टीम दिवाली से पहले आदेशों को पूरा करने के लिए काम कर रही है. पहले ही 10% ऑर्डर पूरे हो चुके हैं.”

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “विश्व बांस दिवस के अवसर पर बांस की कुकीज़ और बांस की बनी शहद की बोतल लॉन्च की गई. बैंबू कुकीज़ और हनी बोतल अब एक नयी उपलब्धि है. यह कई लोगों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करेगा.”

इससे पहले विश्व बांस दिवस पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने बांस की कुकीज़ और शहद की बोतलें लॉन्च कीं. ऐसा करके उन्होंने बांस से बने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दिया. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर कुकीज़ और बोतल की तस्वीरें शेयर कीं. उन्होंने इन प्रोडक्ट्स के बारे में भी लिखा, जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े.

यह स्थानीय लोगों के बीच आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने का एक अच्छा तरीका है. बेशक, अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन चीजें सही रास्ते पर हैं.लता ने कहा, “रीयूजेबल बांस के दीयों का उपयोग कम से कम पांच वर्षों तक आसानी से किया जा सकता है.”

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