अब आप सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को तड़पते हुए देखने की बजाय उसे अस्पताल पहुंचाकर मानवीय कर्तव्य का पालन बेझिझक कर सकते हैं। आपसे अस्पताल में कोई पूछताछ नहीं होगी और नहीं आप पुलिस या अस्पताल को अपनी निजी जानकारी दर्ज कराने के लिए बाध्य होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने जीएसआर 594 (ई) के तहत अधिसूचना जारी कर दी है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक, घायल की मदद करने वाले को ‘गुड स्मार्टियन’ का दर्जा दिया जाएगा। उसके हितों के संरक्षण के लिए मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम-2019 में नई धारा 134 (ए) जोड़ी गई है।
इसमें स्पष्ट है कि वाहन हादसे में घायल व्यक्ति को पहुंची चोट या उसकी मौत के लिए गुड स्मार्टियन को उत्तरदायी नहीं माना जाएगा। उसके खिलाफ कोई आपराधिक या दीवानी मुकदमा दर्ज नहीं होगा। ऐसे लोगों से सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए।
उनके साथ धर्म, राष्ट्रीयता, जाति और लिंग को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए। उससे नाम, पता, पहचान, फोन नंबर या दूसरी निजी जानकारियां नहीं मांगी जाएंगी। हालांकि वह स्वेच्छा से निजी जानकारी पुलिस या अस्पताल को दे सकता है।
यदि कोई गुड स्मार्टियन स्वेच्छा से गवाह बनने को तैयार होता है तो उससे पूछताछ करते समय जांच अधिकारी को धारा 134 (ए) के तहत दिए नियमों व प्रक्रिया का पालन करना होगा। यदि किसी घायल की मौत चिकित्सा उपलब्ध कराते समय या अस्पताल लाते समय गुड स्मार्टियन की किसी लापरवाही के कारण हो जाए तो भी उससे इसी नियम के तहत दिए गए प्रावधानों के तहत पूछताछ या जांच की जाएगी।
अस्पतालों को भी बताने होंगे अधिकार
अधिसूचना में हर सरकारी व निजी अस्पताल को भी गुड स्मैरिटन को उसके अधिकार बताने की जिम्मेदारी दी गई है। अस्पतालों को वेबसाइट, प्रवेश द्वार और ‘गुड स्मार्टियन के संरक्षण’ से जुड़े अधिकार प्रदर्शित करने होंगे। ये हिंदी, अंग्रेजी के साथ ही स्थानीय भाषा में भी लिखना अनिवार्य होगा।
कौन कहलाएगा गुड स्मैरिटन
गुड स्मार्टियन अच्छी मंशा के साथ इनाम की उम्मीद के बिना दुर्घटना में घायल व्यक्ति को आपातकालीन चिकित्सा उपलब्ध कराने या गैर चिकित्सकीय देखभाल करने या उसे अस्पताल ले जाने में मदद करने वाले व्यक्ति को गुड स्मार्टियन माना जाएगा।
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