पहल…पहाड़ चीरकर तालाब तक पानी ले आईं महिलाएं, बनाए अनेक लघु बांध; बहा रहीं परिवर्तन की धारा

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जल के स्थाई समाधान के लिए परिश्रम करतीं जल सहेलियां सूखे बुंदेलखंड के लिए भागीरथ बन गई हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गांव अंगरोठा में 400 से अधिक महिलाओं ने पहाड़ को काटकर ऐसी नहर तैयार कर दी है, जिससे होकर पहाड़ का बरसाती पानी गांव के बड़े तालाब में भरने लगा है। बछेड़ी नदी को भी जीवन मिल गया है।

जल संरचनाओं को गढ़ने के ऐसे विविध प्रयास पूरे बुंदेलखंड में किए जा रहे हैं। महिलाओं ने जो बीड़ा उठाया है, उससे अंचल में कई नवीन जल संरचनाओं का निर्माण हुआ है। अंगरोठा में बुंदेलखंड पैकेज से तालाब का निर्माण कराया गया था, परंतु जलस्नेत का कोई माध्यम न होने से तालाब हर साल बरसात के बाद सूख जाता था। गांव में जलसंकट बना हुआ था। यहां की महिलाओं ने जल संवर्धन के क्षेत्र में सक्रिय संस्था परमार्थ समाजसेवी संस्थान के सहयोग से निकटवर्ती पहाड़ को काटकर नहर निकालने की योजना बनाई। नहर को तालाब से जोड़ दिया। अब गांव का जल संकट समाप्त हो गया है।

जल संरचनाएं तैयार करने का व्यापक कार्य मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सागर और दमोह के साथ उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और जालौन में विगत वर्षो से जारी है। स्थानीय महिलाओं को जल सहेली के रूप में जोड़कर परमार्थ इस मिशन में सहायक की भूमिका में है। अंगरोठा में मिली सफलता के बारे में जल सहेली बबीता राजपूत बताती हैं कि इस गांव ही नहीं, आसपास के गांवों से तीन किमी पैदल चलकर महिलाएं यहां पर आती थीं और श्रमदान करती थीं।

लगभग 18 महीनों की मेहनत के बाद परिणाम सबके सामने है। पहाड़ पर मौजूद ग्रेनाइट पत्थरों की बड़ी रुकावट को पार करने के लिए मशीन का भी सहारा लिया गया। नहर बनाने के दौरान जितने पेड़-पौधे हटाए गए, उतने ही रोप दिए गए। इस क्षेत्र में 11 तालाबों का पुनरुद्धार भी हो चुका है। सबसे बड़ी बात यह है कि तालाबों के भर जाने से यहां की सूख चुकी बछेड़ी नदी को नया जीवन मिल सका है। यह केवल बरसात में बहा करती थी, अब 12 महीने बहेगी।

प्रत्येक गांव में पानी पंचायत बनाई गई है, जिसमें 25-25 महिला सदस्य हैं। इन्हें जल सहेली के रूप में जिम्मेदारी दी गई है। अपने गांव की महिलाओं को साथ जोड़कर वे गांव में जल संरचनाओं के निर्माण और रखरखाव का जिम्मा निभाती हैं। छतरपुर जिले में जल सहेलियों ने 11 लघु बांध तैयार कर दिखाए हैं।

बहा रहीं परिवर्तन की धारा : संस्था के जल-जन जोड़ो अभियान के राज्य संयोजक मानवेंद्र सिंह बताते हैं कि बरसाती पानी को सहेजकर महिलाओं ने गांव की दशा और दिशा बदल कर रख दी है। पहाड़ से जोड़े गए तालाब में लगभग 70 एकड़ तक पानी भर रहा है। इन प्रयासों से भूजल स्तर बढ़ गया है। यहां के सूखे कुओं में पानी आ चुका है और हैडपंप भी पानी देने लगे हैं। इस परिवर्तन के कारण किसान अब खेती के बूते सुनहरे भविष्य की कल्पना कर रहे हैं।

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