हाथी मेरे साथी…क्यो हिंसक होते जा रहे है हाथियों का झूंड…जानिए हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष की मुख्य वजह…पहुचना होगा समस्याओं की जड़ो तक….

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रायपुर:छत्तीसगढ़ वनों, जंगलों और पहाड़ों के लिए जाना जाता है।पिछले कुछ दशकों में वनों की कटाई वन्य जीवों के लिए खतरा साबित हुआ है ।वन्य क्षेत्र जंगली जानवरों के रहने का प्राकृतिक आवास है।मनुष्य के कदमो की आहट और बढ़ते शहरीकरण गम्भीर समस्या बनकर सामने आई है।सवाल उठता है आखिर इसका जिम्मेदार हम किसको माने।यह खुबसूरत नीले ग्रह में जितना हक इंसानों का है उतना ही मूक बधिर प्राणियों का है।समय समय पर कई नीतियां बनाई जाती है,आज हम बात करेंगे हाथियों से जुड़ी हुई समस्याओं के बारे में।

वन क्षेत्रों में वनों की कटाई के साथ साथ पानी की साधनों की कमी भी मुख्य कारण है।हाथी प्रकल्प क्षेत्रो में तालाबो का निर्माण हो ताकि गांव के नजदीक पानी पीने के लिए हाथियो का दल नही पहुचे।गांव वालों को भी जागरूक होना पड़ेगा ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रो में अकेले नही जाए।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2007 में कोरबा के लेमरू वन परिक्षेत्र को एलिफेंट रिजर्व करने की घोषणा की थी,लेकिन पूर्व राज्य सरकार सकारात्मक कदम नही उठा पाया।यही वजह है कि एलिफेंट रिजर्व अधिसूचित नही किया जा सका।

ग्रामीण आतंक और भय के साये में रतजगा करने को मजबूर है।जशपुर-सरगुजा,कोरिया और कोरबा में हाथियों का उत्पात जारी है।हाथियों के हमले से आए दिन लोगो की मौत होते रहती है।समस्या का एक कारण प्रदेश में एलिफेंट रिजर्व नही होना भी माना जा रहा है।

जनहानि पर सरकार मुआवजा तो देती है फिर भी वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए ठोस उपाय निकालना भी बेहद जरूरी है।

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