लावारिस पशुओं की हमदर्द बनीं साधना,पढ़िए प्रेरणादायक कहानी…सोशल मीडिया के जरिए दूसरे लोगों को भी बेजुबानों की मदद के लिए प्रेरित किया

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कोरोना संकट में लॉकडाउन की बंदिशों के बीच किसी को खाने के लाले पड़ गए थे तो किसी को दवा नहीं मिल रही थी। इंसान तो जैसे-तैसे अपना इंतजाम कर ही रहे थे, लेकिन असली संकट बेजुबानों के लिए था। फुटपाथ पर घूमने वाले जानवर भूख से तड़प रहे थे, मवेशियों के लिए चारे का संकट था। ऐसे में देहरादून की रहने वाली पशु प्रेमी साधना जयराज ने अपनी टीम के साथ मिलकर बेजुबानों तक मदद पहुंचाने की ठानी। संकट की घड़ी में बेजुबानों का पेट भरने के लिए इन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया। साधना जयराज और उनकी टीम ने लॉकडाउन के लगभग 58 दिनों तक बेजुबानों का ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

लाकडाउन के दौरान जब लावारिस पशु भूख से तड़प रहे थे तो इनकी मदद के लिए साधना जयराज आगे आईं। मवेशियों का पेट भरने के लिए साधना ने 4 लोगों के साथ मिलकर ऐसी टीम बनाई। जो शहरभर के अलग-अलग एरिया में जाकर जानवरों को खाना खिलाने के लिए तैयार थी। टीम में रवि, जितेंद्र, राजवीर और सुदर्शन शामिल थे। इन सभी ने लॉकडाउन के 58 दिनों तक बेजुबानों का ख्याल रखा। सबसे पहले स्ट्रीट डॉग की मदद की गई। इनके लिए हर रोज घर पर ही दूध, रोटी, अंडे और ब्रेड से हेल्दी फूड बनाया जाता था। ये खाना हर दिन डेढ़ सौ से 2 सौ स्ट्रीट डॉग्स तक पहुंचाया जाता था। बाद में सड़कों पर घूमने वाली गाय और दूसरे आवारा पशुओं के लिए चारे का इंतजाम किया गया। सोशल मीडिया के जरिए दूसरे लोगों को भी बेजुबानों की मदद के लिए प्रेरित किया गया। साधना जयराज और उनकी टीम ने देहरादून का कोई कोना नहीं छोड़ा। जहां भी बेजुबानों को मदद की जरूरत होती, ये टीम तुरंत वहां पहुंच जाती।

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