दिव्यांगता की जंजीरें तोड़ीं पर सरकारी उपेक्षा से हारा भारतीय खिलाड़ी, आज तोड़ रहा है पत्थर..अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर ने कहा है, “मैं अपने देश और सरकार पर गर्व करता हूं, लेकिन उपेक्षा से अब इतना थक चुका हूं कि अब कुछ नहीं बोलना चाहता…

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दिव्यांगता की जंजीरें तोड़ खेल के मैदान में चौके-छक्के जड़कर भारत को कई खिताब दिलाने वाला क्रिकेटर आज सरकारी तंत्र की उपेक्षा से हार चुका है। आज उसका हाल यह है कि परिवार के भरण-पोषण के लिए मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर है। मूल रूप से विकासखंड कनालीछीना के ख्वांकोट के रैकोट निवासी राजेंद्र धामी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर हैं।

2014 में राजेंद्र धामी का चयन उत्तराखंड की दिव्यांग क्रिकेट टीम में हुआ। 2017 में उन्हें भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम में जगह मिली। इस दौरान उन्हें ऊधमसिंह नगर जिले के मुख्यालय रुद्रपुर में भारत, नेपाल, बांग्लादेश के बीच त्रिकोणीय सीरीज में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। कप्तान के रूप में उन्होंने भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचाया। हालांकि, भारतीय टीम को बांग्लादेश से पराजित होकर उपविजेता बनकर संतुष्ट होना पड़ा।

दो वर्ष बाद 2019 में धामी को काठमांडू (नेपाल) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी खेलने का मौका मिला। इस प्रतियोगिता में भारत, नेपाल, बांग्लादेश व पाकिस्तान की टीमें शामिल हुईं। यहां भी भारत बांग्लादेश से हारकर उपविजेता बना। धामी भारत की ओर से अब तक कुल 12 मैच खेल चुके हैं। धामी को इस वर्ष मार्च-अप्रैल में रुद्रपुर में त्रिकोणीय सीरीज में भी खेलना था, मगर कोरोना संक्रमण के चलते यह प्रतियोगिता नहीं हो पाई। धामी राष्ट्रीय एथलीट भी हैं। वह राष्ट्रीय स्तर की गोला फेंक, चक्का फेंक प्रतियोगिता में भी उत्तराखंड का नाम रोशन कर चुके हैं।

पेट भरने को तोड़ रहे पत्थर
पांच सदस्यीय गरीब परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी धामी के ही कंधों पर है। लॉकडाउन के चलते रोजगार नहीं मिलने के कारण रोटी-रोजी का संकट पैदा हो गया है। धामी वर्तमान में रैकोट में मनरेगा के माध्यम से चल रहे सड़क के कार्य में पत्थर तोड़कर मजदूरी कर रहे हैं।

उपनिरीक्षक ने उड़ाया उपहास
धामी का मकान कई वर्षों से जीर्णशीर्ण है। बरसात के चलते मकान पर खतरा मंडरा रहा है। इस बीपीएल परिवार को अभी तक पीएम आवास योजना का लाभ तक नहीं मिल सका है। धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए वह कई बार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा चुके हैं। धामी बोले, उन्होंने क्षेत्र के राजस्व उपनिरीक्षक से बात की तो उन्होंने मकान ध्वस्त होने का इंतजार करने को कह दिया और उपहास उड़ाया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजेंद्र धामी को मदद भेजी है। सीएम ने अपने फेसबुक अकाउंट पर धामी की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा है, “हमारे खिलाड़ी हमारा गौरव हैं। दिव्यांग अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रायकोट, कनालीछीना निवासी राजेन्द्र सिंह धामी जी को जिला खेल प्रोत्साहन समिति, पिथौरागढ़ के माध्यम से प्रोत्साहन स्वरूप 20 हजार रूपये की राशि का चेक प्रदान किया गया। जिला उद्योग केन्द्र की महाप्रबंधक ने श्री धामी जी के घर जाकर उन्हें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी और प्रशासन से पूरा सहयोग किए जाने के प्रति आश्वस्त किया।”

सोनू सूद ने दिए 11 हजार रुपये
फिल्म अभिनेता सोनू सूद को जब धामी के बारे में पता चला तो उन्होंने पिछले सप्ताह धामी के खाते में 11 हजार रुपये की आर्थिक राशि भेजी। धामी ने इस पर सोनू का आभार जताया। धामी ने बताया कि मुंबई में उनका दोस्त है, जो किसी संगठन से जुड़ गया है। उसने वहां कोई पोस्ट की, तब सूद को उनके बारे में पता चला। उनके जरिये ही उनके खाते में धनराशि भेजी गई।

नौकरी के नाम पर सिर्फ आश्वासन
धामी एमए, बीएड हैं। वह योग्यता के आधार पर अनेक बार शासन-प्रशासन स्तर पर नौकरी की मांग कर चुके हैं, मगर उन्हें सभी जगह से निराशा हाथ लगी है। नौकरी के नाम पर उन्हें केवल आश्वासन दिए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद्र धामी ने कहा है, “मैं अपने देश और सरकार पर गर्व करता हूं, लेकिन उपेक्षा से अब इतना थक चुका हूं कि अब कुछ नहीं बोलना चाहता। मनरेगा में पत्थर तोड़ रहा हूं, जिसमें प्रतिदिन 250 रुपये मिल रहे हैं। उसी से परिवार का भरण-पोषण कर रहा हूं।”

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