सत्य का संदेश पहुचाता पंथी नृत्य….सफेद धोती,कमरबन्द, घुंघरू पहने नर्तक और झांझ की लय….

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अपनी नदी,जंगल,पहाड़ के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ अपनी लोक कलाओं के लिए जाना जाता है।यहाँ के शादी-विवाह,फसल बुवाई,कटाई सब उत्सव ही होता है,और सभी के लिए अलग नृत्य भी होते है।उसी में से एक नृत्य है पंथी नृत्य ।आकर्षक सफेद धोती,कमरबन्द घुंघरू पहने नर्तक और झांझ की लय पर नृत्य करते है।

आज हम बात करेंगे जय सतनाम पंथी नृत्य दल ग्राम सांकरा जिला राजनांदगांव की पंथी नृत्य दल, देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी कला का जौहर दिखा चुके है।पंथी नृत्य दल के सदस्य बरसन देशलहरे,देवीलाल सिरमौर, लेखु टण्डन,हेमेंद्र सिरमौर,विरेन्द्र सिरमौर,गौकरण रात्रे,देवेंद्र गहने, आशीष बघेल,दीपक चंदेल,जीवन रात्रे,लाकेश सिरमौर,शत्रुहन जोशी,दुर्गेश साहू,कमलेश टण्डन,मिलन देशलहरे,रुमेन्द्र देशलहरे,साधुराम चतुर्वेदी,देवानन्द टण्डन,टोमन डहरे, अरविंद बंजारे,टिकमचन्द जोशी,टिकेश्वर साहू है।

संस्था के मार्गदर्शक
पंथी नृत्य दल के मार्गदर्शक एवं गुरु श्री अजय चतुर्वेदी दुर्ग एवं श्री देवादास बंजारे जी है।

उपलब्धिया
देश के विभिन्न बड़े मंचो पर प्रदर्शन एवं छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला।चित्रकूट महोत्सव मध्यप्रदेश, इंदिरा गांधी कला केंद्र नई दिल्ली,नृत्य महोत्सव गुजरात,इंडियन कल्चर फेस्टिवल नई दिल्ली,विभिन्न राज्यो में प्रदर्शन एवं सम्मान मिल चुका है

पथ का अर्थ, मार्ग या रास्ता है,जिस पर चलकर अभिष्ट स्थल तक पहुच सके।इसी पथ पर अनुस्वार लगने से वह पंथ हो जाता है।इसका अर्थ हुआ विशिष्ट मार्ग।इस पर व्यक्ति का मन,मत और विचार चलता है,और धीरे-धीरे वह परम्परा और विरासत में परिणत होकर संस्कृति के रूप में स्थापित हो जाता है।इसी सतनाम पंथ की धार्मिक क्रिया व नृत्य ही पंथी नृत्य है।

पंथी नृत्य का मुख्य उद्देशय महान संत गुरु घासीदास बाबा जी का अमृत सन्देश जन जन तक पहुचाना है ।ताकि मानव एक दूसरे के साथ भाईचारे और प्रेम पूर्वक रह सके।यह संदेश सम्पूर्ण मनुष्य को सत्य के मार्ग में चलने का रास्ता दिखाती है…वास्तव में सत्य के मार्ग में चलने वाला हर मनुष्य सतनाम धर्म का पालन करने वाला होता है।

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