कमलेश यादव:पूरी दुनिया मे ऐसा कोई चीज नही है जिसे रचनात्मक रूप दिया न जा सके।बस एक कलात्मक सोच की जरूरत होती है।आज हम बात करेंगे श्रीमती दीपा चौधरी जी के विषय मे,जिन्होंने वेस्टेज सामान को अपनी कला से ऐसा रूप दे देती है,जिसे बरसो सहेज कर रखा जा सके।उनकी कोशिश रहती है कि आसपास की चीजों से ही कुछ नया रचे।दीपा जी की यह कला से कल्पनाओं को नया पंख मिल गया है।
घर के किसी कोने में पड़े कपड़े प्रेस करने का आयरन को उपयोग में लाने का नायाब तरीका है,आप चाहे उसमे लजीज पापड़ बना सकते है,पानी गर्म कर सकते है।सामान्यतः घर के ऐसे सामानों को हम कबाड़ में फेक देते है।लेकिन रचनात्मक कला से सब कुछ बदला जा सकता है।मुरझाए हुए फूल और पत्तियों को नई मुस्कान मिल सकती है।
दीपा चौधरी जोधपुर की रहने वाली सफल गृहणी है।परिवार के साथ साथ घर के कामों में भी संतुलन बनाकर चलती है।पुराने सामानों को नया स्वरूप देना हॉबी है।वाल में पेंटिंग्स,पुरानी खाली बोतलों पर आर्ट,चित्रकारी बहुआयामी प्रतिभा है दीपा चौधरी में।यदि आप भी इस कला में माहिर होकर अपने घर को खूबसूरत बनाना चाहते है तो दीपा चौधरी जी से सहयोग ले सकते है।
सपनो के घर को सही मायने में अर्थ देने वाली महिला ही होती है।अपनी शिक्षा से सब कुछ बदलकर पूरे परिवार में खुशी का माध्यम बनती है।घर तब तक अधूरा रहता है जब तक उसमें सजावट न हो।कलाकृति का विशेष प्रभाव घर पर पड़ता है।पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह घर मे शांति और शुकुन देती है।बहरहाल पुरानी चीजो को आप भी फेंकिए मत विभिन्न रचनात्मक आकार देकर फिर से उपयोग में लाया जा सकता है।