एंकरिंग की दुनिया का उगता सूरज,जिसने रक्तदान कर जिन्दगी बचाने की ली है शपथ,छत्तीसगढ़ बस्तर के चर्चित अन्तर्राष्ट्रीय खोजी लेखक युवा हस्ताक्षर विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर से खास बातचीत में आज पढ़िये….. एक उत्कृष्ट शिक्षक,एंकर और रक्तदाता की अपनी कहानी उनकी जुबानी,,,,,, हम अपना करम करेंगें,,,,,ऐ वतन तेरे लिये

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छत्तीसगढ बस्तर के आदिवासी बाहुल्य जिला कोंडागांव के सालवनों के ओट से निकला वो बस्तरिया बाहुबली जिसकी शेरों शायरियां मंच पर दहाड़ती हैं,बस्तर के युवा उभरते एंकर जिसकी कहानी युवाओं के लिये किसी संजीवनी से कम नहीं है,निश्चय ही इनकी कार्यशैली एक सृजनशील प्रेरणा देती है,आइये उनसे रूबरू हों आप और हम सभी भी…..

सूरज नेताम, जन्म स्थान-उमरगांव अ
जन्मतिथि-01/08/1987
तहसील जिला -कोंडागाँव
निवास स्थान -उमरगांव अ पोस्ट- बुनागांव तहसील जिला कोंडागांव
कार्य क्षेत्र- शिक्षक
स्कूल प्राइमरी-प्राथमिक स्कूल कोकोड़ी
रूची-अध्यापन, सांस्कृतिक,उद्घोषक,
शैक्षणिक योग्यता-स्नातकोत्तर(अर्थशास्त्र) डी.एड,बी.एड

बस्तर के बारे में सोंच-
बस्तर जनजातीय क्षेत्र है जिसमें हल्बी गोंडी के साथ-साथ भतरी बोली का विशेष स्थान है यहां की संस्कृति मुझे बहुत अच्छी लगती है। फिर भी यहां के ग्रामीण इलाकों में अभी भी शिक्षा का अभाव है शिक्षा की दिशा में सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत है।

मुझे बस्तर की संस्कृति बहुत पसंद है लोगों के रहन-सहन परिधान विभिन्न उत्सव को अच्छे से बनाना। हल्बी बोली को बढ़ावा देने की जरूरत है जिससे हमारी संस्कृति बनी रहे बस्तर में संसाधनों की प्रचुर मात्रा उपलब्ध है इन्हें भी सहेजने की जरूरत है। बस्तर में विभिन्न पर्यटन स्थल है जो आगंतुकों को मोह लेती है

रक्तदान हेतु संदेश-
मैं समझता हूं कि आज की पीढ़ी का युवा राष्ट्र निर्माता होता है। लोगों में अभी भी रक्तदान की जानकारी का अभाव है। वही सही मायने में समझ विकसित कर लोगों को वह रक्तदान हेतु प्रेरित कर सकते हैं।

शिक्षा में नवाचार के मायने-
मेरा मानना है आज पूरा संसार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नति कर चुका है। शिक्षा में नवाचार बच्चों में बौद्धिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है जिस प्रकार छात्र शिक्षक अध्यापन करते हैं उसी तरह पालकों में भी अपने बच्चों के प्रति शिक्षा हेतु विशेष ध्यान होना चाहिए।बच्चों में सिर्फ पुस्तकी ज्ञान ना होकर नैतिक सैद्धांतिक और सांस्कृतिक देश प्रेम की भावना का विकास भी होना जरूरी है।

मेरे मन में रक्तदान का विचार-
रक्तदाता ग्रुप कोंडागांव में जुड़े रहने के कारण मुझे रोज कई साथियों के द्वारा रक्तदान संदेश देखने सुनने को मिलते थे। वैसे तो मुझे बहुत पहले से ही रक्तदान करना चाहता था पर मेरा ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव होने के कारण कभी जरूरतमंद नहीं मिल पाए। फिर मेरी है इच्छा पूरी हुई आदरणीय रक्तदाता ग्रुप के सम्मानीय सदस्य सुरेंद्र वैद्य जी के मार्गदर्शन में मैंने अपना पहला रक्तदान किया। रक्तदान करने के बाद मुझे इतनी खुशी हुई कि मैं उसी वक्त मैंने ठान लिया कि मैं आज से हर जरूरतमंद को मैं रक्तदान करूंगा।

मेरी रुचियां
मैं एक शिक्षक हूं मेरा काम बच्चों को शिक्षा देना है। इसके साथ साथ मुझे साहित्यिक,सांस्कृतिक क्षेत्र में विशेष रूचि है। विभिन्न आयोजनों काव्य संध्या साहित्य संध्या और सांस्कृतिक संध्या में उद्घोषक के रूप में कार्य करने में मुझे विशेष रूचि है।

स्कूल के बच्चों के अव्वल आने का कारण –
शिक्षक बच्चों को नियमित नवाचारों के साथ शैक्षिक और नैतिक शिक्षण पर विशेष ध्यान देकर अध्यापन कराते हैं। बच्चों के पालकों के साथ पालक बालक सम्मेलन आयोजित कर बच्चों के शैक्षिक स्तर पर चर्चा किया जाता है विशेषकर बच्चों की माताओं को सालेय बैठकों में अधिक से अधिक उपस्थिति होने के लिए शाला स्तर पर उन्हें प्रेरित किया जाता है।

दूसरे स्कूलों की तुलना में स्कूल की खासियत-
बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद, सांस्कृतिक,और विभिन्न शालेय उत्सव को उत्साह के साथ मनाया जाता है, जैसे गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस गांधी जयंती बाल दिवस बसंत पंचमी सभी बच्चों को जन्म दिवस समारोह इत्यादि। गांव के युवाओं के सहयोग से छुट्टी के दिनों में स्पेशल कक्षाएं लगाकर बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु तैयार किया जाता है। इसी का नतीजा है कि वर्तमान में यहां के बच्चे नवोदय विद्यालय आदर्श विद्यालय,जवाहर उत्कर्ष विद्यालय,एकलव्य विद्यालय,कस्तूरबा विद्यालय जैसे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत हैं। स्कूल के बच्चे हर वर्ष ए ग्रेड में शत प्रतिशत उत्तीर्ण होकर शाला का मान बढ़ाते हैं।विगत 2018,2019 में संकुल के सबसे उत्कृष्ट विद्यालय का खिताब मिल चुका है।

रक्तदान कर शिक्षक ने रक्तदान हेतु दिया संदेश
हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है।इस बात का एहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है।उस वक्त हम नींद से जागते हैं,और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं ।अनायास ही दुर्घटना या बीमारी का शिकार हम में से कोई भी हो सकता है।आज हम सभी शिक्षित व सभ्य समाज के नागरिक हैं,जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं। तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें,और लोगों को जीवन दान दें।

रक्तदान महादान
इसी कहावत को चरितार्थ किया है ग्राम उमरगांव के शिक्षक सूरज नेताम ने जिनके द्वारा शहाबती विश्वकर्मा ग्राम पातरी पारा बांसकोट जिन्हें खून की कमी के कारण जिला अस्पताल कोंडागांव में भर्ती कराया गया था। और परिजन खून की तलाश कर रहे थे।जैसे ही इसकी जानकारी उनको मिली तो उन्होंने तत्काल जिला अस्पताल पहुंचकर ओ नेगेटिव रक्तदान किया। ज्ञात हो कि ओ नेगेटिव रक्त समूह कम मनुष्यों में ही पाया जाता है।अपने जीवन काल के प्रथम रक्तदान कर सूरज नेताम ने हर्ष जताते हुए कहा कि “मैं सौ साल जियूँ ना या ना जियूँ ,लेकिन अपने जीवन काल में सौ बार रक्तदान करके हजारों दिलों पर राज जरूर करना चाहूंगा। सूरज नेताम ने अपने सभी मित्रों रिश्तेदारों और लोगों से रक्तदान करने की अपील कर प्रेरित कर रहे हैं |

ये थे युवा सृजनधर्मी सूरज नेताम,ऐसे ही किसी और शख्सियत के साथ फिर हाजिर रहूंगा,तब तक के लिये,,,,,
जय हिंद |
✍️ मुस्कुराता बस्तर

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