मुझे बचपन से गरीबो की सेवा करने का तथा उनके दुख -सुख में सदैव साथ देने की प्रबल इच्छा होती थी।ऐसी सोच के शख्सियत से चंद सवालों के जवाब में आज आपको रूबरू करा रहे हैं,,जगजीवन राम निषादआपकी कहानी आपकी जुबानी में…
नाम- जगजीवन राम निषाद , जन्म स्थान- केंवट नवागाँव, पोस्ट-सुरेगाव, जिला-बालोद पिनकोड- 491225 (छ.ग.),वर्तमान निवास – ट्रांज़िट हॉस्टल रुम न.-06 वार्ड नं-15 रंगाराज रोड कुम्हाररास सुकमा, पिन कोड- 4944111 । कार्यालय का नाम-शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था-सुकमा ,पदनाम-प्रशिक्षण अधिकारी।सन 1999 से मेरी तमन्ना रक्तदान करने की थी,मुझे पहला मौका मुझे भोपाल में मिला जब मैं BHEL BHOPAL में अप्रेंटिस्शीप का ट्रेनिंग कर रहा था।जिसके लिए मैं वहाँ पर स्थित कस्तूरबा गाँधी हॉस्पिटल गया था। लेकिन किन्ही कारणों से मैं रक्तदान नहीं कर पाया था।
क्योकिं मेरा बचपन काफी तकलीफ़ों के साथ बीता है।मेरे मा बाप बहुत गरीब थे फिर भी मुझे पढ़ा लिखा कर मुझे आज इस काबिल बनाये हैं।जिसकी बदौलत मैं आज इस मुकाम तक पहुंचा हूं।यहाँ बस्तर के लोग बहुत भोले भाले हैं।और कठिनाईयों का डटकर मुकाबला करते हैं।जो गुन एक मेहनत कश इन्सान मे होनी चाहिए वो गुण इनमे कुट कुट कर भरा।मै बस्तरिया लोगो को सलाम करता हूँ ।उनका सम्मान करता हूँ ।
अगर हमें भगवान ने इन्सान जन्म दिया है तो हमारा भी यही फर्ज बनता है कि हम मुसीबत में किसी काम आये।अगर रक्तदान करने से किसी इन्सान की जान बच जाती है या उनको इक नया जीवन प्राप्त होता है तो।समझो हमारा जीवन धन्य हो गया ।वैसे भी हम एक दुसरे के पूरक हैं ।मैं तो अपने प्रशिक्षुओं को हमेश अच्छे कार्यों के लिये प्रोत्साहित करते रहता हूँ । मेरा रक्तदान से सम्बंधित मार्गदर्शन छात्रों को सदेव मिलता रहता है।और वो रक्तदान करके अपने इंसानियत का फर्ज अदा करना चाहते हैं ।
मैं 1999 से लालायित था कि मुझे कब मौका मिले कि मैं रक्तदान कब या जरुरत मन्द इन्सानो की मदद कर सकूँ ।लेकिन तब से लेकर आज तक मेरे ये सपने और ख्वाब धरे के धरे रह गये थे।जब मैं भेल में था तो अस्पताल तक पहुंच तो गया था लेकिन किसी कारणवश मैं उसदिन रक्तदान नहीं कर पाया था।तब से लेकर आज तक मेरे सपने अधूरे थे।मैं जब भी अस्पताल जाता तो 1999 वाली बात याद आ जाती थी ।लेकिन सोच सोच कर रह जाता था।या जब भी किसी इन्सान के तबियत के बारे में पता चलता तो अनायास ही मन में उनके प्रति मदद की भावना उत्पन्न हो जाती थी।लेकिन मदद नहीँ कर पाता था ।ऐसा लगता था कि दिन और रात गरीबों और बेबस लोंगो की मदद करता रहूँ ।लेकिन ऐसा नहीं कर पाता था।लेकिन आज भी मैं गरीबों की मदद करने के लिये तरसता हूँ ।लेकिन ईश्वर की कृपा हुई की मुझे 30 जून 2020 को icu मे भर्ती इक जरुरतमंद इन्सान को रक्तदान करने का सुअवसर प्राप्त हुआ ।ऐसा करने के बाद मुझे बहुत खुशी हुई क्योकिं 1999का जो मेरा सपना था वो आज हकीकत का रुप ले चुका था।मेरे हौसले और भी बुलंद हो चुके हैं ।और मैनें ये दृद संकल्प लिया है कि हर तीन महीने में मैं अपना रक्तदान कर जरुरत मन्द इन्सानो की जन बचाउंगा ।
मैं हर क्षेत्र से जुड़े हर इन्सान से यही गुजारिश करना चाहूँगा कि आपके छोटे से अंशदान से किसी की जिन्दगी सवर जाती है तो सही मायनों में इन्सान हैं नहीं तो हम जानवर से भी गए गुजरे हैं ।वैसे भी कहा गया है रक्तदान महादान । रक्तदान करके निश्चित रुप से हम किसी की जान बचा सकते है ।हर इन्सान को इसके लिये आगे आना चाहिए ।ये बहुत सरल है।
बस्तर मेरे और मेरे परिवार के लिये वरदान है ।आज मैं जो कुछ भी हूँ वो सब बस्तर की देन है ।1999 से आज तक मैं दुसरी जगह जो मेरे सपने थे उसे पुरा नही कर पाया वो अधूरे सपने आज बस्तर में पुरा हुआ है। बस्तर मे आज भी मुलभुत समस्याओं की निराकरण की आवश्यकता है ।ताकी यहाँ के लोगों को, युवाओं को एक अच्छी सुविधा के साथ रोजगार मिल सके शिक्षा मिल सके।और ऐसी बहुत सारी समस्याये हैं जिनका निदान हमारे छत्तीसगढ़ शासन को करना होगा ताकी यहाँ के भोले भाले गरीब मजदूरों का कल्याण हो सके ।और युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके।मैं बस्तर की पावन माटी और मांई दंतेश्वरी के पावन धाम को बारम्बार प्रणाम करता हूँ ।वो यहाँ के लोंगो को दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की प्रदान करें ।ऐसी मंगल कामना करता हूँ ।
बस्तर में मुझे सबसे बढिया यहाँ के लोग तथा यहाँ का हाट बाजार और पर्यटन स्थल लगता है। क्योकिं यहाँ के लोग बहुत मेहनती हैं ।भोलेभाले हैं ।यहॉ चारो तरफ हरियाली ही हरियाली है।आम लोगो के साथ बस्तर और बस्तरिया लोंगो का समुचित विकास हो यही मेरी दिली इच्छा है |
ये थे हमारे सुखमय सुकमा के शख्सियत जिनकी कहानी बहुत कुछ कहती है | आपको फिर किसी और शख्सियत से हूबहू बिना लाग लपेट के रूबरू करायेंगे,तब तक के लिये अनुमति दीजिये |
!!जय हिंद,जय जगत!!
✍️ मुस्कुराता बस्तर