कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. प्रवासी मजदूर अपने अपने घरों की ओर पैदल लौट रहे हैं. इसी कड़ी में दो बच्चों के साथ चिलचिलाती धूप में अपने गृहनगर छत्तीसगढ़ की ओर पैदल जा रहे दो प्रवासी मजदूरों को दो सिपाहियों का उस समय साथ मिला जब वे मजदूर अपने बच्चों को पलड़े में रखकर कंधे पर ले जा रहे थे. मजदूर अपने बच्चों के लिए श्रवण कुमार बने हुए थे जो अपने नेत्रहीन माता-पिता को लेकर चले थे.
दरअसल, आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के अडोनी पुलिस स्टेशन में तैनात हेड कांस्टेबल जगदीश कुमार ने छत्तीसगढ़ के उन प्रवासी मजदूरों के लिए ना सिर्फ वाहन की व्यवस्था की बल्कि, भोजन और रुकने की भी व्यवस्था की. इस दौरान जगदीश कुमार के साथ एक अन्य कांस्टेबल भी थे.
कांस्टेबल ने इन मजदूरों को तब देखा जब वो कडप्पा के लिए अपने गृहनगर पैदल जा रहे थे. हेड कांस्टेबल ने कुरनूल के यमिगनू शहर में प्रवासी श्रमिकों के इस परिवार को देखा था. उन्हें इस हालत में देखते ही जगदीश कुमार ने उन्हें वहीं रोक लिया.इसके बाद पहले तो उनके लिए कुछ खाने की व्यवस्था की, उनके लिए रुकने की व्यवस्था भी की. इसके बाद उनके लिए एक वाहन की भी व्यवस्था की. दोनों कांस्टेबल का यह व्यवहार चर्चा का विषय बना हुआ है.
बता दें कि लॉकडाउन के चलते रोजगार के ठप होने की सबसे अधिक मार गरीब मजदूरों पर पड़ी है. लॉकडाउन की वजह से काम बंद हुआ तो लाखों की संख्या में मजदूर जहां थे, वहीं रुक गए. कुछ मजदूर ज्यादा दिन नहीं रुक पाए तो पैदल ही घर के लिए रवाना हो गए.