मेघालय में भारत की बांग्लादेश से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा घने जंगलों के बीच से होकर गुजरती है। गारो पहाड़ी क्षेत्र के ये घने जंगल दोनों देशों के विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक लगी कंटीली बाड़ यहां पर सुरक्षा कवच की तरह कार्य करतीं है। क्षेत्र में हाथियों के दल बहुधा दिखाई देते हैं।
राज्य के सुप्रसिद्ध शहर चेरापूंजी की बारिश की ही तरह, सीमा सुरक्षा बल भी निरंतर 24 घण्टे बॉर्डर पर तैनात रहती है। जहां पर सदैव सतर्क, प्रहरियों की आंखों को धोखा देना संभव नहीं है।लेकिन ये प्रहरी जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण करते हाथियों के झुंड को खुली छूट देते हैं।इनके आने-जाने के चिह्नित मार्ग, बीएसएफ के सुरक्षा कवच के बीच से होकर गुज़रते हैं। परंतु हाथियों का सरल व मुक्त आवागमन सुनिश्चित करने हेतु प्रहरी, बाड़ गेट को इनके पार करने हेतु सुरक्षात्मक सावधानियां बरतते हुए खुला रखते हैं।
हाथी इस क्षेत्र में पूजनीय हैं, जिन्हे यहां आदरपूर्वक “मामा” कहा जाता है।क्षेत्र में हाथी परेड का पता लगाना आम बात है। लोग इनके प्रति गहरी आस्था रखते हैं। यहां पर हाथियों द्वारा भी स्थानीय निवासियों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता है।सीमा प्रहरियों और जंगली जानवरों के बीच यह सौहार्दपूर्ण सह-सम्बंध एक विशिष्ट अनुभव है।