_*कोरोना वारियर्स ग्राम पंचायत सचिव..*_ *ग्राम पंचायत सचिवों को नियमित शासकीय सेवक घोषित करे सरकार: सचिव संघ…* _सचिव क्यों सरकारी कर्मचारी नहीं है,फिर काम क्यों नियमित कर्मचारियों की तरह…_ *वेतनमान बढ़ोतरी और नियमितीकरण की मांग को लेकर खोलेंगे मोर्चा…*

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रायपुर:-भारत गांवों का देश है और जनसँख्या का बड़ा हिस्सा गांव में ही रहता है।एक तरफ पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहा है।इसी कड़ी में अंतिम इकाई ग्राम पंचायत में अपने कर्त्तव्य को निभाने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है ग्राम पंचायत सचिव।वास्तव में कोरोना की असली जंग अभी गांवों में शुरुआत होनी है। हजारो की संख्या में प्रदेश से बाहर काम करने गए मजदूरों का वापिसी हो रहा है।जिसे सुव्यवस्थित नियंत्रण की अहम जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव की है।कोरोना वारियर्स ग्राम पंचायत सचिव को भी आवश्यक सुविधाओ की जरूरत है।

प्रदेश के हजारों ग्राम पंचायतों में लॉकडाउन में भी नियमित सेवायें देने के बाद भी सरकार ग्राम पंचायत सचिवों को 50 लाख बीमा और अन्य सुविधाओं की श्रेणी में नहीं रखा है,जबकि जमीनी सच्चाई है कि सचिव ग्राम पंचायत के माध्यम से ही दूभर और विषम परिस्थितयों में कार्य संपादित किये जा रहे हैं।आज कोरोना के भययुक्त माहौल में भी गांव,गरीब और हर इंसान के सुख दुख में प्रहरी की तरह तैनात है |

शासन प्रशासन को इस बात को समझना ही चाहिये और विचार करना चाहिये,जबकि सरकारों की वोट बैंक की राजनीति में शिक्षा कर्मी भारी पड़ रहे जिससे उनकी सुविधायें बेहतर कर रही सरकार | सरकारों को जमीनी सच को स्वीकारना ही होगा जिससे मतभेद की चिन्गारी मनभेद तक ना जा पहुंचे | जिससे नाराज पंचायत सचिवों ने सरकार से मांग की है कि सरकार उनको सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए नियमित करने का आदेश शीघ्र जारी करे | वेतनमान बढ़ोतरी व नियमितीकरण की मांग को लेकर हल्ला बोलने की तैयारी में ग्राम पंचायत सचिव संघ लॉकडाउन के बाद प्रदेश भर से सैकड़ों पंचायत सचिवों ने वादा निभाओ रैली में ताकत दिखायेंगे |

प्रदेश पंचायत सचिव संघ के प्रदेश सह सचिव विश्वनाथ देवांगन ने कहा कि सचिव लॉकडाउन में भी कार्य करते हुए कई सचिव साथी कई दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं,कोरोना की चपेट में भी आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है,छत्तीसगढ़ में सचिव साथियों में कोरोना के संदिग्ध केश मिलने की संभावनायें मीडिया पर चल रही हैं | जब जमीनी स्तर पर काम करने का होता है तो सरकार,नेता और प्रशासन को सचिव की भूमिका याद रहती है | फिर उसके शासकीय करण और वेतनमान की बात आती है तो उसको यहां वहां भटका कर लॉलीपाप पकड़ा दिया जाता है,सरकार चाहे जिसकी भी रही है, सभी ने सचिवों के साथ छल किया है |

सचिव के उपर हमले हो रहे,सचिवों को रात दिन हर शासकीय योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिये ड्यूटी लगाया और हर सचिव पूरी निष्ठा के साथ कार्य करता है।पंचायत सचिवों के हक और अधिकार के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ने के लिए हुंकार भरते हुए,उन्होेने कहा कि सबसे पहले शासकीय करण कर दीजिये सरकार | दो वर्ष परीक्षा अवधि पश्चात सचिवों को 5200 से 20200 रूपये वेतनमान व 2400 रूपये ग्रेड पे की मांग पूरी करना,साथ ही सरकारी सेवक किया जाने के साथ साथ विभागीय रिक्त पदों पर शत प्रतिशत पदोन्नति एवं त्रिस्तरीय क्रमोन्नति की स्वीकृति,पूर्णकालीन पेंशन की स्वीकृति की मांग पूरी किया जाना चाहिए |

इस दौरान सचिव संघ के बस्तर संभागाध्यक्ष श्री अनीष गुप्ता के सड़क दुर्घटना पर कहा कि सचिव काम के दबाव में रहता है जिससे इस प्रकार की घटनायें सचिवों के साथ आम हो रही हैं,वैसे ही सूरजपुर के जजावल मे सचिव पंचम सिंह के कोरोना पाजिटिव पाए जाने की सूचना समाचार के माध्यम से प्राप्त हुई है।सरगुजा जिले मे ही लाक डाऊन के दौरान एक सचिव साथी के तनाव के कारण मौत की खबर भी समाचार पत्रों मे प्रकाशित हो चुकी है।

सरकार स्वास्थ्य विभाग को 50 लाख और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को 30 लाख का बीमा राशि दिए जाने की घोषणा कर चुकी है।जबकि इस महामारी मे सबसे अहम भूमिका निभाने वाले सचिवों की कोई पूछ परख नहीं है। फिर भी सचिव रात दिन काम कर रहा है | हमारी मांग है कि सरकार सचिवों को शासकीय नियमित कर्मचारी घोषित करने का आदेश जारी करे |

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