_*धरती पर भगवान…*_ *रियल हीरोस्… हेल्थ कमांडोस्… ग्राउंड जीरो की कहानी….* छत्तीसगढ़ बस्तर के अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लेखक युवा हस्ताक्षर *विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर* का खोजी यात्रा संस्मरण… में आज पढ़िये.. _*भगवान का नाम बाद में,पहले डॉक्टर याद आता है |*_

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जब पूरी दुनिया कोरोना के प्रकोप से झुलस रही है,कराह रही है,पूरा भारत लॉकडॉउन कर दिया गया है,लोगों को घर में रहने के सख्त निर्देश हैं,चारों ओर कर्फ्यू जैसा माहौल है,ऐसे में ये धरती के भगवान गांव-गांव,घर-घर पहुंच कर लोगों की सेवा कर रहे हैं | जब सब कुछ ठीक था,तब भी ऐसे ही जज्बे के साथ संवेदनशील ग्रामीण क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा मुस्तैदी से करते रहे हैं | बारिश के दिनों में तो ग्रामीण बसाहटों में वनाच्छादित क्षेत्र होने से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है | फिर भी ये हेल्थ कमांडो हार नहीं मानते बल्कि हर समय सेवा को गांव के अंतिम व्यक्ति तक लेकर जाते हैं | ये ऐसा ही संस्मरण है जो ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने के दौरान देखा गया है,अनुभव किया गया है बिना लाग लपेट मिर्च मसाला के पेश है | इन धरती में भगवान की कहानी कोई अतिश्योक्ति नहीं बल्कि ग्राउंड जीरो की कहानी है | एक ऐसी कहानी जिसे सिर्फ वक्त आने पर ही एहसास किया जा सकता है |

इनके भी बीवी,बच्चे,भाई बहन होंगे,इनकी भी तकलीफें,खुशिया होंगी,इनका भी मन करता होगा आपकी मेरी तरह,पर सब कुछ देश पर न्यौछावर है | जब हमारी तकलीफें बढ़ जाती हैं तो मन दौड़कर अस्पताल की ओर जाने का मन करता है,फिर इश्वर से पहले ये डॉक्टर्स याद आते हैं,जो आज भी दिन रात सेवा में रत हैं,आइये इनका अभिनंदन करें…..

*ये भी हैं इस…,,धरती में भगवान…*

वर्ष 2016,गांव भीरागांव ब,बरसात का महीना झमाझम बारिश,समय शाम करीब 7 बजे रैनकोट एक युवा घर पर दाखिल होता है,जो दिखने में स्वास्थ्य कार्यकर्ता की तरह ही दिखता है, दाखिल होते ही पूछता है- किसकी तबीयत खराब है? मेरी सास की तबीयत खराब है सर,घर की छोटी बहू ने कहा | अच्छा कहां पर हैं,अपने बैग से दो इंजेक्शन और कुछ टेबलेट देकर चला जाता है | मैंने नहीं पूछा कि ये कौन हैं | डॉक्टर साहब अपना काम करके चले गये | देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि गांव में भी डॉक्टर्स रहने लगे हैं | अचानक सास की तबीयत कुछ ज्यादा बिगड़ जाती है,रात करीब नौ बजे फिर किसी डॉक्टर को घर वाले कॉल करके बुलाते हैं,रात को फिर वही डॉक्टर(जैसा की गांव वाले संबोधित करते हैं ) आते हैं | एक इंजेक्शन और लगाते है और कुछ सलाह देकर चले जाते हैं | कुछ देर बाद सास की तबीयत ठीक होने लगती है | रात को लगभग दो बजे सास जाग जाती है और अपनी समधन के साथ डॉक्टर की बहुत तारीफ करती है,दुआ देती हैं | सुबह जब सास की तबीयत में सुधार हो जाता है तो लोग मिलने आते हैं, वे भी बताते हैं कि जब भी बुलाइये डॉक्टर साहब आ जाते हैं क्या दिन क्या रात,हमेशा सेवा में तत्पर | वो सभी यह कहते नहीं थकते | कहते हैं कि ये गांव का पारख डॉक्टर है | (डॉ.ओ.पी.पारख कोंडागांव शहर के नामी डॉक्टर थे दुर्भाग्य कि कुछ वर्षों बाद उनकी किसी ने हत्या कर दी |) जिसका इलाज पारख के जैसा है | सुनकर मुझे तो अचरज हुआ और मैंने उनके बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि वो स्वास्थ्य कार्यकर्ता श्री डॉ.अश्विनी साहू जी हैं | डॉ. साहू जी बहुत ही सुलझे हुए और अनुभवी हैं | जिसका क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत बड़ा योगदान है | आज भी सेवा में रत हैं |

तपती धूप चैत का महीना वर्ष 2017 समय ठीक दो बजे श्रीमती रजनी नेताम स्वास्थ्य कार्यकर्ता | अपने कार्य स्थल से मरीज को शहर ले जाने की आवश्यकता होती है,बिना किसी लाग लपेट के ना कोई बहाना था,पहली प्राथमिकता के साथ पैदल चलती हुई जा रही थी,ऐसे चल रही थीं जिसे देखकर कोई भी काम की प्राथम्कता का अंदाजा आसानी से समझ जायेगा | जिसे मैंने रास्ते में बस स्टॉप तक छोड़ दिया था,इतनी तत्परता से सेवा आज भी मेरे मस्तिष्क पटल पर छबि बनी हुई है | बेहतरीन सेवा भावना के लिये जानी जाती हैं | सरल और सौम्य भाव से सबके बीच सेवा रत हैं |

जब भी गांव में स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचता हूं तो स्वास्थ्य केन्द्र में दो चार लोग आते रहते हैं,लोग बताते हैं कि जब बोलो तब आते हैं..इतना लोगों के मुंह से कहलाना कितनी बड़ी बात है,लोगों को उनके घरों तक पहुंच कर दिन रात सेवायें देना किसी तपस्या से कम नहीं है | मनुष्य की सेवा ही माधव सेवा है,जब मैं पिछले मेरे कार्यक्षेत्र सिरसीबेड़ा में था तो आदिवासी जनजातीय बहुल क्षेत्र में गांव वालों की तरह होकर उनकी सेवा करना मुझे बहुत याद आता है..श्री दीपक कुमार नाग ऐसे ही हेल्थ कमांडो हैं जो दिन रात इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य रक्षा में लगे रहते हैं |

जब भी मैं स्वास्थ केन्द्र या फिर मेरे कार्यक्षेत्र में जाता था, तो महिलाओं की फौज होती थी, तो समझ जाना चाहिये कि लेडी कमांडो की परेड चल रही है | पर मेरा दुर्भाग्य कि जब भी गया तब तब उनके निकल जाने बाद मैं पहुच जाता था | आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती सुशीला मंडावी बताती थी कि हमारी स्वास्थ्य कार्यकर्ता(गांव में सिस्टर/नर्स,संबोधन आज भी चल रहा है)बहुत संवेदनशील हैं,हर हमेशा लोगों की सेवा के बारे में सोंचती हैं | मैं मन ही मन सोंचता हूं कि इन वीरांगनाओं का दिल भी कितना बड़ा है कि पूरे समाज के लिये दिलेरी से सोंचते हैं | बिना शिकायत के सेवा अपने आप को गौरवान्वित करती है,मैंने देखा है वो लाल स्कूटी को आज भी गांवों में सरपट दौड़ते हुए | और वो लाल स्कूटी वाली और कोई नहीं स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं…श्रीमती माधुरी बैरागी |

गांवों में बेहतर चिकित्सा सुविधायें जब मिलती हैं तो चर्चा का विषय बन जाता है,मैं जहां पर तैनात था ठीक वहीं पर वो दो शख्सियत भी मौजूद रहीं | लोगों के बीच जब हम अजनबी होते हैं तो हमें पता नहीं रहता हम किसके लिये क्या कर रहे हैं | हो सकता है हम पड़ोस वाले की दास्तान लिख रहे हैं और वो हमारे बगल में हो | मैं गांव वालों की मांग के अनुसार लिख रहा था कि गांव के स्वास्थ्य कार्यकर्ता बहुत सहीं सेवाएं दे रहे हैं | दाढ़िया गांव के मानसिंह ठाकुर जी कहते हैं कि हमारे गांव से 5 किमी दूर मालाकोट में क्वार्टर होने से हमें तो दिक्कतें नहीं होती,एक फोन से काम हो जाता है | पर इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कितना दिक्कत होता है हम जानते हैं | हमारे गांव में ही अस्पताल होना चाहिये,हमने लिख डाला पंजी में | जब गांव के लोग स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवाओं का आंकलन कर उनके बारे कुछ अच्छा सोंचते हैं तो उससे बड़ी बात क्या होगी | मैं पहली बार गया हुआ था,जानने की इच्छा हुई तो मुझे पता चला कि वो और कोई नहीं मेरे साथ उसी बैठक में साथ उपस्थित श्रीमती लच्छनतीन मरकाम और श्री कंवलसाय सोरी जी हैं | जो आज भी सेवा में रत हैं |

परिवर्तन प्रकृति का नियम है,समय के साथ मैं भी नये स्थान पर पहुंच गया जहां पर मुझे नये लोगों के बीच काम करने और काम को तल्लीन होकर करने वालों के बारे में जानने का अवसर मिला | किबईबालेंगा का एक वाकया मुझे याद है कि जब एक समय कुपोषण अभियान के तहत गंभीर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन करने के बाद 5 बच्चों की सूची हमें मिला | जिसमें गंभीर कुपोषित बच्चों को सामान्य स्तर तक लाना था | राजनंदिनी,मानसी और कुछ अन्य(याद नहीं) नाम के बच्चे को सामान्य स्तर तक लाना था,रोज सुबह दौरे पर जाते थे,समझाईश देते रहे,जब भी कोई परिणाम नहीं आने पर उन बच्चों के सेहत में सुधार के लिये हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्वयं अपने पैसे से आवश्यक व्यवस्था कर रहे थे | सरकारी तो मिलता ही है | मैं इन शख्सियतों को आज भी दिलेरी से काम करते हुए देखता हूं जहां बहाना नहीं है | इसलिये जब भी मिलता हूं मन करता है,,कहता हूं सिंह साहब द ग्रेट | और ये हमारे स्वास्थ्य फौजी और कोई नहीं- श्री दीपनारायण सिंह और श्रीमती पद्मिनी पटेल जी हैं |
जो आज भी सेवा में रत हैं |

जब गांव में स्वच्छ भारत मिशन के शौचालय निर्माण के दौरान काम से जब कुछ दिन के लिये बनजुगानी गांव में जाने का सैभाग्य प्राप्त हुआ| मैं जब भी जाता तो संयोग से वह दिन मंगलवार ही होता था,और आंगनबाड़ी के इर्द गिर्द कुछ महिलायें और बच्चे दिख जाते थे | मैंने ज्यादा कुछ तो नहीं देखा पर यह देखा कि शाला कैम्पस के पास ही सामने अस्पताल का भवन जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता रहते हैं | साफ सफाई से युक्त | मैंने जानने की कोशिश की,कि कुछ तो नई बात है यहां,गांव के युवा वर्ग मिस्त्री जो काम पर आते थे से,मुझे पता चला कि गांव में नया लड़का-लड़का है(जैसा कि गांव में लहजा चलता है) का पोस्टिंग हुआ है और वो बढ़िया इलाज करता है | जरूरत के समय मरीजों को रात हो चाहे दिन कोंडागांव भी लेकर चला जाता है | पहले पुलिस में गया था जो अब फिर स्वास्थ्य विभाग में आ गया | कुछ देर बाद गांव वालों ने दिखाया कि वो जो आ रहे हैं वही हैं मुझे करीब आने पर पता चला कि वो कोई नहीं श्री हेमसिंह सोड़ी जी हैं जिनको मैं उनकी पहली पोस्टिंग जब मेरे गांव हुई थी तब से जानता हूं | और बहुत दिलेर वर्कर हैं | और अस्पताल की बाड़ी में खड़ी वो मैम जो गाड़ी निकाल रही हैं वो कुसुमलता ध्रुव जी हैं | आज भी सेवा में रत हैं |

गिट्टी मिट्टी की सड़क और कुछ चिचडोंगरी का उबड़ खाबड़ सड़क,फिर कहीं पगडंडी,खेत और सायकल में वेक्सीन लेकर गांवो की ओर कूच करने वाली वो सिस्टर जिसे गांव वाले देखकर ही उम्मीदो की आस और हौसले की दाद देते थे | गांव की युवती,अधेड़ और बुजुर्ग महिलाओं में एक अलग अंदाज की धमक जिसके सामने महिलाओं में अच्छे अच्छों की बोलती बंद हो जाती थी,सुखद,मन को सूकून देने वाला एक अजीब सा अपनापन की दबंगई जिसे सुनकर महिलाओ में खुशी होती थी कि कोई तो है जो हमारे बारे में सोंचती है,बुनागांव से चिचडोंगरी तक लोगों के बीच लोकप्रियता के दशक बना रही,क्षेत्र में डेबरे सिस्टर(यानी बांई हाथ से लिखने वाली सिस्टर) के नाम से लोकप्रिय | गर्मी,बारिश,हो चाहे कड़कड़ाती ठंड हर मौसम में डटे रहने वाली,वो आयरन लेडी और कोई नहीं श्रीमती कुंजलता सोनी जी हैं | जो आज भी सेवा रत हैं |

वैसे जो देखा वही लिखा | उबाउ हो सकता है पर बनावटी नहीं | इनके बारे में लिखना जरूरी हो गया है,ये समाज के कोहिनूर हीरों को दिलों तक पहुंचाना समय की मांग है | मैंदानी क्षेत्रों में प्रतिदिन जीवट काम करने वाले ये हेल्थ फौजी आज देश के लिये हर पल लड़ रहे हैं | मैं इनके बारे में ज्यादा लिख तो नहीं सकता पर उन्हे उनके कार्यों को नमन करता हूं |

*हम सब इनका सम्मान करें….यही हेल्थ कमांडोस् हमारे सीमा के जवानों की तरह हमारे जीवन के असली हीरोस् हैं*

ये भी हैं,,,इस धरती में भगवान,आखें बंद करके आप अनुभव कीजिये जब भी आपको कोई तकलीफ याद आये तो डॉक्टर और ये कमांडो ही याद आयेंगे | आज पूरा देश संकट के दौर गुजर रहा फिर इस विकट समय में ये डटे हैं |

आइये,हम इन्हे हौसला दें,इनका अभिनंदन करें,ये भी इस धरा,,वसुंधरा,,,धरती में भगवान हैं |

जय हिंद
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विश्वनाथ देवांगन’मुस्कुराता बस्तर’

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