कमलेश यादव,:-व्यस्तता भरी जीवनशैली में पर्यटन स्थलों से हमे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह मिलता है।आज हम लेके जा रहे है छत्तीसगढ़ की बलौदाबाजार जिले से 29 किमी की दूरी में स्थित बाल्मिकी आश्रम तपो भूमि (तुरतुरिया)जहां जाने मात्र से ही मन मे शांति और असीम आनंद की अनुभूति होती है।महर्षि बाल्मिकी आश्रम जाने वाले श्रद्धालुओं को प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ भगवान राम से जुड़ी हुई कई बाते जानने समझने मिलता है।
महर्षि बाल्मिकी ने संस्कृत भाषा मे कालजयी महाकाव्य रामायण की रचना की थी।मर्यादा,सत्य,प्रेम, भातृत्व, मित्रत्व का सन्देश रामायण में पूरे विश्व के कल्याण के लिए दिया गया है।बाल्मिकी आश्रम का सम्बन्ध लव-कुश और माता सीता से है।अति प्राचीन समय मे आश्रम सत्य और ज्ञान का केंद्र बिंदु हुआ करता था।आज भी ज्ञान और भक्ति की अविरल धारा यहां जाते ही महसूस होता है।कसडोल से मात्र 12 किमी और सिरपुर से 23 किमी की दूरी पर यह आश्रम स्थित है।
तुरतुरिया में बाल्मिकी आश्रम की सुंदरता बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।विलक्षण प्राकृतिक सुंदरता,हरे-भरे पेड़,पहाड़ो से घिरा यह आश्रम में कई अलौकिक शक्तियां विराजमान है।पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का व्यक्तित्व साधारण नहीं था।उन्होंने अपने जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर अपना जीवन पथ बदल दिया, जिसके फलस्वरूप वे महान पूज्यनीय कवियों में से एक बने. यही चरित्र उन्हें महान बनाता हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वन गमन के स्थलों की पहचान कर इन्हें पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की घोषणा की है।इसमे तुरतुरिया का बाल्मिकी आश्रम का भी नाम है।छत्तीसगढ़ का अपना समृद्ध इतिहास रहा है।प्राचीन काल मे यहां के घने वनों में कई सिद्ध ऋषियों सन्तो का स्थान रहा है।आप भी आस्था के केंद्र में आकर इस विहंगम आनंद का अनुभूति ले सकते है।
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