संदीप राठौर,महासमुंद:-सदियो से मनुष्य और वृक्ष एक दूसरे के पूरक रहे है.वृक्षो की घनी और शीतल छांव से मन प्रफुल्लित हो जाता है।कुछ दिनों पहले हमने महासमुंद जिले के कई पर्यटन स्थलों की यात्रा कि है.छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महासमुंद की दूरी 56 किमी है.इस रोचक सफर में हमारी मुलाकात हुई ऐसे बरगद के वृक्ष से जिसका इतिहास तकरीबन 400 वर्षो से भी पुराना है।महासमुंद जिले के छोटे से गांव बाहमनसरा में यह बरगद का पेड़ स्थित है।यह पेड़ लगभग 50 ft ऊंचा है और इसकी शाखाएं लगभग 45 ft तक फैली हुई हैं।
पेड़ के नीचे बैठकर यात्रा की सारी थकान मिट गई और हम फिर तरोताजा हो गए नए गंतव्य में जाने के लिए।मैने तो सियान बरगद वृक्ष से संवाद भी किया पूछा आखिर कैसे खड़े हो इतने साल जवाब में वो मुस्कुराते हुए कहने लगे मुझे निःस्वार्थ सेवा करना अच्छा लगता है और इस काम से मुझे बेहद खुशी होती है इसीलिए साल तो क्या शताब्दियों तक यू ही लोगो की सेवा करते रहूंगा।मैंने जाते जाते जिंदगी के कई सारे सबक बुजुर्ग बरगद पेड़ से सीखा।
छत्तीसगढ़ पर्यटन की दृष्टि से सम्पन्न राज्य है यहां की नैसर्गिक खूबसूरती सैलानियों का मन मोह लेती है।गांव के भोले-भाले लोग प्रकृति के संरक्षक के रूप में सदियो से देखभाल कर रहे है।आप भी यदि कहि घूमने जाने की तैयारी में है,तो महासमुंद जिले के इस बरगद पेड़ को जरूर देखने जाने का प्लान बना सकते है।
(यदि आपको इस यात्रा संस्मरण से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हों तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखें,
या Facebook पर satyadarshanlive.com पर संपर्क करें | आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर और वीडियो 7587482923 व्हाट्सएप में भेज सकते हैं)