एक नई सुबह….
प्रकृति की वादियों के बीच दुर्गम वन क्षेत्र में बसा एक गांव सोनपुर,जहां सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं रही | वनों की गोद में बसे सोनपुर गांव का एक लड़का बुदरू बचपन से ही होनहार था | प्रकृति से बेहद लगाव और पुरखों की धरती मां के प्रति प्रेम इस बालक को भी बचपन से हीं वनों और पहाड़ों के बीच विचरने को खींच लाते थे | गांव का बालक फटे कपड़ों और धूल धसरित शरीर जंगल की पैडगरी पर बहुत कुछ आड़े तिरछे सवालों के जवाब दे रहे थे | कभी प्रकृति के प्रति लगाव तो कभी शिक्षा के प्रति झुकाव जीवन को एक नये मोड़ पर ला दिया | माता पिता की शिक्षा और बड़ों का प्यार जीवन की एक पाठशाला से कमतर नहीं है | नदी में नहाते,तालाब में डुबकते तो पहाड़ में चढ़ते फिर वहां की सुरम्य वादियां,मनमोहक घाटिया,मौन संभाषण करते हैं,थिरकते हैं,सांगित्यिक छटा बिखेरते हिलोंरे लेते बुदरू के मन में ऐसे विचार प्रस्फुटित हो रहे जैसे कि वादियों के बीच कोई गुमसुम सा तरन्नुम कोई कह रहा हो कि हम तुम्हारे हैं और एक दिन इन जंगलों,पहाड़ों,नदियों,झरनों,घाटियों और मनमोहक वादियों को तुम्हें सारी दुनिया को दिखाना है |
गांव की गरीबी को जिसने देखा है और महसूस किया है,वही जानता है,बुदरू ने गरीबी को करीब से देखा,समझा,यह जीवन के उन दिनों की बहुत ही तकलीफ दायक कहानी है,जब गरीबी की मार शर्टऔर पेंट में टूटे बटन की तरह है जहां शर्ट को ठीक करें तो पेंट के गिर जाने का डर होता है,बेहद गरीबी स्थिति में पला बढ़ा,जिसने कभी कभी बिना खाये,बारिश में भीगकर,धूप में तपकर और पैडगरी को लांघकर शिक्षा के लिये सबकुछ छोड़ जीवन पथ पर बढ़ा | बुदरू के मन में शिक्षा की ललक और जीवन में कुछ करने का जज्बा ने प्राथमिक से माध्यमिक,उच्चतर माध्यमिक और स्नातक की पढ़ाई तक पहुंचा दिया,क्योंकि बुदरू जानता था कि शिक्षा से ही बदलाव संभव है,अन्यथा इन बीहड़ों पर आजादी और अपने पुरखों,इन प्रतीक्षारत वादियों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर पाना कभी संभव नहीं है | अब बुदरू की निरंतर शिक्षा से एक नया मुकाम हासिल हो गया,अब बुदरू बहुत खुश और जीवन की धरातल पर पहुंचने की खुशी में,जन सामान्य लोगों की सेवा क्षेत्र को चयन करने का मन बना लिया |
समय और उम्र ने उसे भी औरों की तरह प्रेम के गीत गवाये | कहते हैं ना कि जिन्दगी प्यार का गीत है,इसे हर दिल को गाना पड़ेगा | पारिवारिक बंधनों में बंध जाने के बाद,जिन्दगी की असली कहानी में फेर बदल हुई | फिर बुदरू ने देखा जिस ओहदे पर वह है,उससे जीवन तो चल सकता है,पर,जीवन जीया नहीं जा सकता | अपनी आत्मविश्वास से लबरेज जूनूनी संकल्पना और प्रखर दृढ़संकल्प ने मंजिल को और अधिक आसान कर दिया और उच्च शिक्षा पाकर कई सारे सरकारी दफ्तरों के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए निरंतर सफर जारी रखा | जहां कभी ठोकरें तो कभी आलोचना और समालोचनाओं के भी शिकार होते रहा | फिर भी मुड़कर कभी नहीं देखा,चलते रहा |
जल,जंगल और अपनी जमीन की यादों को विरासत की गठरी में बांधकर गांव,छोड़कर नगर में बस गया,जीवन एक चलती फिरती पाठशाला है,जो सबकुछ पढ़ाती है और सीखाती भी है | समय बीतता गया और जीवन में अनवरत संघर्षों का दौर एक सुखमय और सशक्त दिन के रूप में बुदरू ने अपने को जिले का कलेक्टर बना पाया | बचपन के दिन 67 में भी याद रहे और फिर चल पड़ा उन्हीं पुरखों और वादियों की ओर जिनसे मिलने का उसका वर्षों का नाता था | फिर प्रकृति और वादियों के बीच अपने को पाकर अपनों के लिये जी जान से नित्य नये प्रयोंगो से काम में रत होने लगा |
काम करने का जज्बा और पुरखों के कर्ज ने बीहड़ों में भी सड़कों का जाल बिछाने और उम्मीदों की किरण बन जाने को पंख दिया | बीहड़ और वादियों में रहने वाले लाखों लोगों के बीच में अपने को पाकर काम करने की खुशी सौ गुना बढ़ने लगी और न्यूनतम समय में अधिकतम कार्य करते हुए 6-7 वर्ष की उम्र में बीहड़ में देखे सपने को 67 में हकीकत करने का सपना पूरा हो गया | बुदरू के के लिये यह चुनौती पूर्ण कार्य था,आंगा देव पथ का कारिडोर निर्णाण करना,जो अब पूर्ण हो गया है | आंगा पेन शक्ति की कृपा और कुछ कर दिखाने की जिद ने उन हजारों लाखों लोगों के जीवन में एक नई मिशाल पेश की है,कि सोनपुर गांव का बुदरू भी कलेक्टर बन सकता है और आंगादेव का कर्ज चुका सकता है | लाखों लोगों की जिन्दगी में परिवर्तन का सूत्रधार बन सकता है | सरकार की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का रेल पटरी बन सकता है | आज बुदरू के दिलो दिमाग में खुशी से लबरेज नई उर्जा है,जो किसी परमाणु बम की शक्ति से कम नहीं है,जीवन की सार्थकता लिये है | फिर आज आंगादेव कारिडोर के लोकार्पण कार्य में रत बुदरू का सफर जारी है | हर दिन की तरह, एक नई सुबह,नये दिन की शुरूआत….|
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