कमलेश यादव,रायपुर:-जीवन निरंतर सीखाता हैं,और जो निरंतर सीखता हैं वह असल मे सही मायने में सफलता के नए कीर्तिमान रचता है।छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्वतारोही चित्रसेन साहू को कौन नही जानता,लाखो युवाओ के प्रेरणास्रोत बनकर “सही करों और आगे बढ़ो ,रूको मत” का संदेश दे रहे है।राज्य के ब्लेड रनर, ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ के नाम से चित्रसेन जाने जाते है। हाल ही में एक नया मिशन जिसका आदर्श वाक्य है”अपने पैरों पर खड़े हैं”इस मिशन के तहत ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी कोजिअस्को फतह करेंगे।और पूरी दुनिया को,प्लास्टिक फ़्री अभियान का सन्देश देंगे।
चित्रसेन साहू को छत्तीसगढ़ शासन एवम् मोर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा “प्लास्टिक फ़्री अभियान” के लिए “ब्रांड एंबेसडर” बनाया गया है।ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में स्थित माउंट कोजीअस्को पर्वत जिसकी उचाई 2228 मीटर है।पर्वत की ऊँचाई भी चित्रसेन साहू के हौसले के आगे बहुत छोटा प्रतीत होता है।रायपुर से 28/02/20 को प्रस्थान करेंगे।समिट -02/03/2020 और वापसी,07/03/20 को होगा। कैंपेन “अपने पैरों पर खड़े हैं”करोड़ो छत्तीसगढ़ वासियो के लिए नया इतिहास रचने वाला है।
इससे पूर्व चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था। माउंट किलिमंजारो अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत है ,चित्रसेन यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है। चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने के वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती है और यह अपने आप में बहुत बड़ा चैलेंज है।जिसको उन्होंने स्वीकार किया है, और आगे लक्ष्य है, सात महाद्वीप के साथ शिखर फतह करना है।अवगत हो कि चित्रसेन साहू पर्वतारोही होने के साथ-साथ राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी, ब्लेड रनर हैं।उन्होंने विकलांगो के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है और शासन की अन्य नीतियो को अनुकूल बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही अपने लोगों के हक के लिए काम किया है ,ताकि उन लोगों के साथ भेदभाव ना हो। शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है ,ना ये हमारी सफलता के आड़े आता है ,बस जरूरत है ,तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे आने की। हम किसी से कम नहीं,ना ही हम अलग हैं तो बर्ताव में फर्क क्यों करना। हमें दया की नहीं आप सबके साथ एक समान ज़िन्दगी जीने का हक चाहिए ।
“अपने पैरों पर खड़े हैं” मिशन के पीछे हमारा एक मात्र उद्देश्य है सशक्तिकरण और जागरूकता, जो लोग जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गवां बैठते हैं उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना, उनके नाम के आगे से, दिव्यांग शब्द को हटाना ताकि उन्हें समानता प्राप्त हो ना किसी असमानता के शिकार हो तथा बाधारहित वातावरण निर्मित करना और चलन शक्ति को बढ़ाना है।
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