छोटे से गांव के फोटोग्राफर की कहानी…..फ़ोटो की निगेटिव से डिजिटल तक का सफर….

1135

कमलेश कुमार,राजनांदगाँव:-छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रो के फोटोग्राफर को उतना महत्व नही दिया जाता है।लेकिन हजारों लोगो के बीच मे कुछ कलात्मक फ़ोटोग्राफर भी होते है जो अपने रचनात्मक कलाकृति के दम पर आगे बढ़ जाते है।आज हम बात करेंगे ऐसी ही शख्सियत के विषय में जिसका सफर फ़ोटो के निगेटिव से डिजिटल तक रोमांचकारी रहा है।नाम है, शिवकुमार चौधरी बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था।राजनांदगांव से महज 10 किमी की दूरी में छोटा सा गांव भोथीपार कला जहां चौधरी जी रहते है।25 वर्ष पहले गांव-गांव में साइकिल से जाकर मात्र 100 रुपये में फ़ोटोग्राफी शुरू किए हुए थे जो अब मासिक 30 हजार रुपये महीने के मुनाफे तक  पहुच गए है।शिवकुमार चौधरी का मानना है,जो काम आपको पसंद है वही करो,एक दिन आपका पसन्द,लोगो की पसन्द बन जाती है।

डिजिटल के दौर में अभी हर व्यक्ति के मोबाइल में कैमरा है लेकिन उत्कृष्ट फोटोग्राफी के लिए प्रोफेशनल फोटोग्राफर ही कलात्मक फ़ोटो खींच सकता है।पिताजी मेघनाथ चौधरी गांव में ही कृषक है।खेती-किसानी और गांव से जुड़ी तस्वीरों में अपना एक अलग ही आनंद होता है।इसी अनुभूति को जिंदगी का मकसद बनाकर अपने काम को बेहतर करने की कोशिस जारी है।

फोटोग्राफर वास्तव में काफी संवेदनशील व्यक्ति होता है किसी भी चीज को देखने का अलग नजरिया,अलग सोच होता है।गांव के फोटोग्राफर भी अपने मेहनत से नित नया आयाम रच रहे है।गांव की धुंधली तस्वीरों को अर्थ वही व्यक्ति दे सकता है जो खुद गांव में रहता हो।सत्यदर्शन की टीम की ओर से शिवकुमार चौधरी की उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं…..

(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखे,
या Facebook पर satyadarshanlive.com पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो भी भेज सकते

Live Cricket Live Share Market