अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर “लोक मड़ई एवं कृषि मेला” में राम मंदिर का हूबहू मॉडल तैयार किया गया है… इस मेले में खेती-किसानी की बातें होंगी, सरकारी योजनाओं की जानकारी समेत ढेर सारा मनोरंजन होगा और साथ ही आपको लोक संस्कृति की झलक भी दिखेगी

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कमलेश यादव : धान का कटोरा के अलावा छत्तीसगढ़ में लोक कला संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है । आज हम आपको एक ऐसे लोक मड़ई में ले जा रहे हैं जिसमें खेती-किसानी की बातें होंगी,सरकारी योजनाओं की जानकारी होगी, ढेर सारा मनोरंजन होगा और साथ ही आपको लोक संस्कृति की झलक भी दिखेगी…जी हां, हम बात कर रहे हैं संस्कारधानी राजनांदगांव में लगे लोक मड़ई एवं कृषि मेला (मुसरा डोंगरगढ़) के बारे में जहां हूबहू अयोध्या धाम श्रीराम मंदिर जैसा राम मंदिर का मॉडल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।यह मेला 24 फरवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा. मेले में दर्शकों की भीड़ उमड़ने लगी है.

किसानों की गोठ बात
लोक मड़ई एवं कृषि मेला का आयोजन पिछले 24 वर्षों से किया जा रहा है। इस मेले का किसान साल भर इंतज़ार करते हैं, जहाँ पर उन्हें नए उन्नत बीज और नई तकनीक की जानकारी एक ही जगह पर मिल जाती है। किसानों को कृषि की नई तकनीकी एवं योजनाओं की जानकारी देने के लिए कृषि एग्जीबिशन व किसान मेले लगाए जाते हैं।यहां कृषि यंत्रों के साथ-साथ कृषि से जुड़े हर तरह के स्टॉल हैं, जिसमें बीज, खाद भी शामिल है।

राममय हुआ लोक मड़ई
इस मेले में अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर राम मंदिर का भव्य मॉडल तैयार किया गया है. हजारों श्रद्धालु इस मनोरम दृश्य को अपने मानस पटल पर सदैव के लिए अंकित कर रहे हैं। हालाँकि, छत्तीसगढ़ भगवान श्री राम का ननिहाल है और अपने वनवास के दौरान उन्होंने काफी समय छत्तीसगढ़ में बिताया हैं। मेले में प्रभु श्रीराम मंदिर का प्रतीकात्मक स्वरूप को देखने लोग दूर दूर से आ रहें हैं। प्रतिदिन प्रदेश के लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं। मेले की ओर जाने वाली रास्तों को जगमगाती लाइटों से सजाया गया है।

किसानों से चर्चा
मेले में आए किसान सुगंधु मारकंडे ने कहा कि, यह मेला किसानों को नवीनीकरण की ओर ले जाता है. उन्होंने आगे कहा कि जब तक किसान वोकल फॉर लोकल की ओर नहीं बढ़ेंगे, उनकी दशा और दिशा नहीं बदलेगी. यहां लोगों को शासकीय योजनाओं, सब्सिडी की जानकारी देकर और खेती करने के लिए प्रेरित कर उनके बीच ज्ञानवर्धक माहौल तैयार किया जाता है। इस दौरान ग्राम मुसरा निवासी श्री पोषण निर्मलकर ने श्री राम मंदिर को अद्भुत बताया और हर वर्ष ऐसे आयोजन करने की मंशा जताई हैं।

उमड़ी दर्शकों की भीड़
मेले का आनंद लेने, खेती की जानकारी लेने, बच्चों का मनोरंजन करने के बाद शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने के लिए दर्शकों की भीड़ बढ़ती जा रही है. दोपहर तक मेला स्थल की पार्किंग भी भरने लगी है। शाम को अद्भुत नजारा देखने को मिला. हजारों की संख्या में दर्शक मेले का आनंद लेने आ रहे हैं. अनुमान है कि लाखों की संख्या में दर्शक यहां लोक मड़ई एवं कृषि मेले का आनंद उठायेंगे।

लोक मड़ई एवं कृषि मेला छत्तीसगढ़ की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को साझा करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। साथ ही, किसानों को नए कृषि उपकरण, बीज, उर्वरक, उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, औषधीय फसलों और अन्य कृषि संबंधी उत्पादों की जानकारियां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

मेले में कैसे पहुँचे
राजनांदगाँव रेलवे स्टेशन से लोक मड़ई एवं कृषि मेला स्थल (मुसरा डोंगरगढ़) तक की दूरी लगभग 21 किलोमीटर है। यहाँ पहुँचने के लिए आप ऑटो या बस ले सकते हैं।

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