संस्कारधानी के “स्वदेशी मेला” ने जीता लोगों का दिल.. यह देश की विविधता में एकता की कड़ियों को मजबूत करने के साथ-साथ ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा को भी आगे बढ़ा रहा है

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कमलेश यादव : भारतीय विपणन विकास केंद्र के तत्वावधान में 16 फरवरी से 22 फरवरी तक स्वदेशी मेला का आयोजन छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी राजनांदगाँव में आयोजित की जा रही हैं।इस मेला में प्रदेश के विभिन्न सांस्कृतिक रंगों की छटा देखते ही बनती है। खान पान और हस्तशिल्प के नायाब विकल्पों से मेला सराबोर हैं।यह स्वदेशी मेला देश की विविधता में एकता की कड़ियों को मज़बूत करने के साथ-साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा को भी आगे बढ़ाता है।

उमड़ी दर्शकों की भीड़
हमारे देश में हस्तशिल्प का एक समृद्ध इतिहास है। कारीगर पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनी समृद्ध कला की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसे समझने के लिए दर्शकों की भीड़ बढ़ती जा रही है. दोपहर तक मेला स्थल की पार्किंग भी भरने लगी है। शाम को अद्भुत दृश्य देखने को मिला हजारों की संख्या में दर्शक मेले का आनंद लेने आ रहे हैं। अनुमान है कि यहां लाखों दर्शक स्वदेशी मेला का लुत्फ उठाएंगे.

भदोही जिले का प्रसिद्ध कालीन
पारंपरिक कला तभी तक संरक्षित रहती हैं जब तक उसे संवारने सजाने गढ़ने के लिए नए हाथ बढ़ते रहते हैं।स्वदेशी मेला में आए कई युवा शिल्पी परंपरा को न केवल आगे बढ़ा रहे हैं,बल्कि नए जमाने के हिसाब से उसे व्यावसायिक स्वरूप भी प्रदान कर रहे हैं।मुस्कान कारपेट भदोही के संचालक सैफ अली ने बताया कि भदोही जिले को ‘कारपेट सिटी’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह दक्षिण एशिया में सबसे बड़े हाथ से बुने हुए कालीन बुनाई उद्योग केंद्रों का मुख्य स्थान हैं।स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाये गये कालीन पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखते हैं।

गौरतलब है कि अपने निजी स्थान को सुंदर बनाना किसे पसंद नहीं है?  व्यक्तिगत स्थान को सुंदर और आकर्षक बनाए रखना सदियों से एक परंपरा रही है, चाहे आप इसे महंगी सामग्री से करें या किसी और चीज से।भारतीय घरों में कालीन को उच्च प्राथमिकता वाला सजावटी माना जाता है।यह फर्श से गंदगी को दूर रखने के साथ-साथ स्थान की समग्र सुंदरता को बढ़ाने के उद्देश्य से काम करता है। कालीन बुनाई अभी भी कई कारीगरों के लिए आजीविका का स्रोत बना हुआ है।

सांस्कृतिक प्रस्तुति ने किया मंत्रमुग्ध
स्वदेशी मेले में आकर्षण का केंद्र देश और प्रदेश की संस्कृति के अलग-अलग रंग हैं. यहां उत्साह और उमंग है. छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के साथ आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। रंगोली,निबंध,शिशु वेशभूषा, मेहंदी ,व्यंजन,कंगन सजाओ,युगल जोड़ी,केशसज्जा जैसी अनूठी प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। स्वदेशी मेले में उत्पादों की व्यापक रेंज के अलावा मनोरंजन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

दर्शकों ने की जमकर खरीदारी
मेले में भीड़ पहुंची तो वहां के स्टाल वेंडर काफी खुश दिखे। 11 बजे से मेला में आना शुरू हुई भीड़ देर रात तक आती रही। दर्शक स्टाल वालो से मोल-भाव करते हुए देखे गए।घर को सजाने से संबंधित सामान के अलावा विभिन्न आकर्षक मूर्तियों और साड़ियों की खरीदारी हुई है।कुछ स्टाल पर सेल के बोर्ड भी टंगे नजर आए।

 

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