रेडियो यानी आवाज की वह दुनिया, जिसमें बाते हैं, कहानियां हैं, गीत-संगीत हैं,नाटक और रूपक भी हैं

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यह आकाशवाणी है, अब आप समाचार सुनिए…।  एक समय था जब यह अल्फाज़ रेडियो से निकलते थे तो नुक्कड़ की दुकान पर चाय की चुस्कियां लेते हुए लोगों में सन्नाटा छा जाता था। बुजुर्ग एक दूसरे को चुप होकर देश के हालात पर समाचार सुनने का इशारा करते थे तो सब शांत हो जाते थे। होली के सीजन में पहले से ही रेडियो पर उड़े रंग गुलाल और गांव-गांव में गूंजते फगुवा गीतों की बहार अलग ही आनंद देते थे। हर गांव-गली के चौपालों पर कृषि दर्शन, सैनिकों और किसान भाइयों के कार्यक्रम और रात में हवा महल का सभी को इंतजार रहता था, लेकिन अब रेडियो का ज़माना गुजरे लंबे समय की बात हो चुकी है, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के ज़रिए फिर से रेडियो में जान फूंकने का काम ज़रूर किया है।  लोगों का मानना  है कि रेडियो की खबरों की गुणवत्ता और तथ्य एकदम सटीक होते थे। यह बहुत रोचक बात है और सत्य भी, कि पहले के समय में गांव-गांव में शादी-ब्याहों में रेडियो दहेज में दिया जाता था। जिसके घर रेडियो आता था, वह काफी प्रभावशाली माना जाता था। रेडियो हमेशा से ही लोगों का दोस्त रहा है। चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

जब से प्रधानमंत्री का मन की बात कार्यक्रम शुरू हुआ, रेडियो ने एक बार फिर सबके दरवाजे खटखटाने शुरू कर दिये हैं। प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम ने एक लम्बा सफर तय किया है, लेकिन कई लोग अभी भी इस बात से हैरान हैं कि प्रधानमंत्री ने मन की बात के लिए रेडियो को एक माध्यम के रूप में क्यों चुना। तो यह समझना बहुत आसान है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच ने रेडियो की व्यापक पहुंच के माध्यम से अपने मन की बात को जन-जन तक पहुँचाया है। आज प्रधानमंत्री के मन की बात दूरस्थ क्षेत्रों के करोड़ों लोगों तक आसानी से पहुंचती है। यह भी सच है कि रेडियो लगभग हर भारतीय घरों का हिस्सा बना हुआ है और यह बात भुलाई नहीं जा सकती कि 1920 के बाद मानव जीवन में रेडियो ने एक क्रांति ला दी थी।

प्रधानमंत्री के बाद केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी आकाशवाणी पर अपना कार्यक्रम शुरू कर लोगों तक रेडियो की पहुंच को और विकसित किया है। सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे लोगों पर आधारित कार्यक्रम – नई सोच नई कहानी में स्टार्ट-अप से जुड़ी महिलाएं और स्व-निर्मित व्यवसायी महिलाएं शामिल होती है। जो अपनी सफलता की कहानियां रेडियो के माध्यम से पूरे भारत से साझा करती हैं । यह शो खेल, स्वास्थ्य और वित्त जैसे विषयों पर केंद्रित है जिसका लक्ष्य विविध पृष्ठभूमि के लोगों से जुड़ना है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का उद्देश्य इस शो के जरिए वक्ताओं को उनके संघर्षों और भावनाओं के बारे में गहराई से बताने के लिए मंच प्रदान करना है।

आज पूरा देश विश्व रेडियो दिवस मना रहा है। 13 फरवरी वह तारीख थी जब 1946 में अमेरिका में पहली बार रेडियो ट्रांसमिशन से संदेश भेजा गया था और संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी। मानवता की सभी विविधताओं का जश्न मनाने के लिए रेडियो एक शक्तिशाली माध्यम है और लोकतांत्रिक विमर्श के लिए एक मंच का निर्माण करता है। रेडियो के आविष्कारक मार्कोनी ने जब पहली बार इटली में 1895 में रेडियो सिग्नल भेजा और उसे सुना तो भविष्य का इतिहास वहीं अंकित हो गया था। इसके बाद निरंतर तरक्की होती रही।

ऐसे में रेडियों के बारे में बात करना और आकाशवाणी में काम करना अपने आप में गर्व की बात है।  रेडियो यानी आवाज की वह दुनिया, जिसमें बाते हैं, कहानियां हैं, गीत-संगीत हैं, नाटक और रूपक भी हैं। रेडियों में महिलाओं का कार्यक्रम, बच्चों का कार्यक्रम, बुजुर्गों और युवाओं का कार्यक्रम भी इसका आकर्षण हैं। अब रेडियो के सभी कार्यक्रम दूरदर्शन ,यूट्यूब और कई सोशल मीडिया प्लैटफार्म पर आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं। आज आकाशवाणी की अपनी वेबसाइट है ,यूट्यूब चैनल है जिसमें हर कार्यक्रम,हर ख़बर मौजूद हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आवाज़ की ये दुनिया आगे भी ऐसे ही चलती रहे क्योंकि आज भी दूरदराज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो रेडियो को ही सूचना का एकमात्र श्रोत मानते हैं और रेडियो ही सुनना पसंद करते हैं।

फरहत नाज़
समाचार वाचिका,आकाशवाणी
(साभार :DD NEWS)

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