महादेवी वर्मा हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।
जो तुम आ जाते एक बार
जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने सँदेश,
पथ में बिछ जाते बन पराग,
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग-भरा उन्माद-राग;
आँसू लेते वे पद पखार !
जो तुम आ जाते एक बार !
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
घुल जाता ओठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत
लुट जाता चिर-संचित विराग;
आँखें देतीं सर्वस्व वार |
जो तुम आ जाते एक बार !
– महादेवी वर्मा
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