
खूबसूरत सी बेचैनी छाई है…जबसे हुई है मुलाकात
निंदिया चली गई है सपनों की
कल्पना में रम गई है रात
खूबसूरत सी बेचैनी छाई है
जबसे हुई है मुलाकात
पीर का साथ रहना
बहुत अच्छा लगता है
मीठी है जुदाई
मीठा है अहसास
नयनों की बातें सताती हैं
होठ तो चुपचाप मुस्कुराते हैं
कुछ भी न भाये क्या कहें
कैसे लिखें हालात
न मिलना उनका जब
इतना अच्छा है यारों
जो मिल जाये तो
हो जाये सौगात
चम्पेश्वर गोस्वामी