
स्वावलंबन की राह…वनांचल क्षेत्र में सैनिटरी पैड निर्माण कर क्रांति की अलख जगाती महिला उद्यमी गोदावरी निषाद…स्कूल की किशोरी बालिकाओं को निःशुल्क पैड देने के साथ दो गांवों में घर की प्रत्येक महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कर रही है
कमलेश यादव:हर वह चीज जो वर्षो से चली आ रही है जरूरी नहीं है कि वह सही ही हो।भारत में आज भी मासिक धर्म के बारे में भ्रांतियां है।पीरियड से कही ज्यादा परंपरा के बोझ तले महिलाएं दबी हुई है।यह दर्द केवल एक महिला का नही है ज्यादातर गांव की महिलाओं ने चुप्पी साधी हुई है।आज हम बात करेंगे ऐसी महिला उद्यमी के बारे में जिन्होंने महिला समूह बनाकर सैनिटरी पैड निर्माण कर महिलाओं में क्रांति की अलख जगा रही है।छतीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के पिछड़े वनांचल क्षेत्र बागरेकसा की सशक्त महिला गोदावरी निषाद की कहानी बड़ी दिलचस्प और प्रेरक है।
दो गांव को बनाया पैड ग्राम
जिंदगी उत्साह और भरोसे का नाम है गोदावरी निषाद की जीवन में भी काफी उतार चढ़ाव आया उसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नही हारी।गोदावरी जी सुदूर गांवों में अच्छे स्वास्थ्य को संस्कृति बनाने के मिशन पर है।सैनिटरी पैड को लेकर 2 गांव में पूर्ण रूप से परिवर्तन की लहर दिखाई दे रहा है।घर की प्रत्येक महिलाएं सेनेटरी पैड का इस्तेमाल कर रही है। अभी वर्तमान में 10 गांवों को इस अभियान से जोड़ा गया है।
स्कूल की किशोरी बालिकाओं को निःशुल्क
गोदावरी महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाई गई सैनिटरी पैड को छात्राओं में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के लिए निःशुल्क दिया जा रहा है।इसके लिए बकायदा “पैड बैंक” की स्थापना की गई है।अक्सर देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रो में पैसों के अभाव में माहवारी के दौरान पैड खरीदने में सक्षम नही होते है उन महिलाओं और बालिकाओं के लिए यह वरदान साबित हो रहा है।
महिलाओं की प्रेरणा स्त्रोत
हाथ से हाथ बढ़ाकर सामूहिक प्रयास की नींव रखने वाली गोदावरी निषाद प्रसिद्ध उद्यमी बन गई हैं। जिन्होंने एक सफल व्यवसाय बनाया। उन्होंने ना केवल कई महिलाओं के जीवन में सुधार किया, बल्कि दूसरों को भी अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उनकी कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
माहवारी पर आसानी से बात करने के लिए मैंने मुश्किल लड़ाई लड़ी है। जिस गांव में कभी महिलाओं की माहवारी को अपवित्र और गंदा माना जाता था, वहां एक महिला का सेनेटरी पैड के काम में जुटना आसान नहीं था। मेरे जेहन में एक समस्या थी जो मेरे मन से जुड़ी थी। वह सिर्फ मेरी नहीं मेरे आसपास की सभी महिलाओं की समस्या थी।
हर एक बच्ची और महिलाओं को सैनिटरी पैड के साथ जुड़ना मेरे लिए भगवान को मनाने जैसा था। इस काम में शारीरिक से ज्यादा मानसिक मेहनत की। सोच बदलना आसान नहीं होता। आज कई लोगों ने हमारे इस काम को न केवल सराहा है बल्कि पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा।मैं संतुष्ट हूं कि मैं सोच बदलने का हिस्सा बनी।
गोदावरी निषाद ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि उनकी समूह की सभी महिलाएं काफी मेहनती है।टीमवर्क और सहयोग की शक्ति के ऊपर हम विश्वास करते है।सैनिटरी पैड निर्माण की इकाई में 20 महिलाओं के साथ मिलकर शुरुआत की और सामूहिक प्रयास का ही परिणाम रहा कि कारोबार बढ़ता गया,यह हजारों महिलाओं तक फैल गया।
वे हंसते हुए कहती है कि आज इतने बरसों बाद जब अपनी जिंदगी को देखती हूँ तो लगता है कि पहाड़ों से झरने की तरह उतरती,चट्टानों से टकराती,पत्थरों में अपना रास्ता ढूंढती,उमड़ती,बलखाती,अनगिनत भंवर बनाती,तेज चलती और अपने ही किनारों को काटती हुई ये नदी अब मैदानों में आकर शांत और गहरी हो गई है।
जब भी जीवन आपको मुश्किल लगे,तो वहां हमेशा कुछ न कुछ ऐसा भी होगा,जो आप कर सकते हैं और उसमें सफलता भी हासिल कर सकते हैं।मुश्किल घड़ी हमे शिक्षक की तरह सब कुछ सीखा जाती है।गोदावरी निषाद का जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। उनकी कहानी हमें दृढ़ता,टीम वर्क,एक मजबूत कार्य नीति,नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी के महत्व को सिखाती है।उन्होंने हजारों महिलाओं के जीवन को बदल दिया है।सत्यदर्शन लाइव उनके किये हुए सामाजिक बदलाव की प्रशंसा करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।