वैज्ञानिक सोच और आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखने वाले डॉ आदित्य शुक्ल की प्रेरणादायी कहानी…देश विदेश में छत्तीसगढ़ी जस गीत तथा मानस व्याख्यान के माध्यम से समृद्ध परंपरा के संवाहक बने हुए है

कमलेश यादव:छत्तीसगढ़ हमेशा से ही पूरी दुनिया मे आकर्षण का केंद्र रहा है।आज भी यहां के रहवासी अपनी परंपराओं और इतिहास को मूल स्वरूप में सहेजे हुए है।मांदर ढोल मंजीरे की प्रतिध्वनि जब “देवी जस गीत” के साथ गुंजायमान होती है तो पूरा माहौल अदभुत ऊर्जा से सराबोर हो जाता है।आज की कहानी में हम बात करेंगे बेंगलुरु में पदस्थ युवा वैज्ञानिक डॉ आदित्य शुक्ल के बारे में जिन्होंने देश विदेश में छत्तीसगढ़ी जस गीत तथा मानस व्याख्यान के माध्यम से समृद्ध परंपरा के संवाहक बने हुए है।हाल ही में उनकी द्वारा लिखी पुस्तक “सफल व्यक्तित्व के हनुमान मन्त्र” पाठकों के द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है।

वैज्ञानिक सोच और आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखने वाले डॉ आदित्य शुक्ल का जन्म छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव टेमरी चिचोली रायपुर में शिक्षित परिवार में हुआ।बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण छत्तीसगढ़ के बदलते राजनीतिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक परिवेश को देखा,महसूस और आत्मसात किया।श्रीमती उषा देवी तथा डॉ रामस्वरूप शुक्ल के पुत्र आदित्य बचपन से ही मेधावी रहे है।वे रसायन शास्त्र में पी एच डी, ऑपरेशन मैनेजमेंट में एम बी ए एवं हिंदी साहित्य में एम ए की शिक्षा प्राप्त किये हैं तथा वर्तमान में बैंगलोर स्थित ITC – Life Sciences & Technology Centre में वरिष्ठ वैज्ञानिक (Lead Scientist) के पद पर कार्यरत हैं।

भारत का शास्त्र विज्ञान अति समृद्ध है हजारो लाखो साल पहले का विज्ञान उन्नत था जिसका जिक्र पुराणों में मिलता है।आदित्य के व्यक्तित्व में साहित्य, शास्त्र एवं विज्ञान की त्रिवेणी संगम है। वे मानस के विभिन्न प्रसंगों एवं पात्रों को वर्तमान परिपेक्ष्य में समझने तथा उनसे सीखने के लिए नई दृष्टिकोण प्रदान करने की विशेष योग्यता के कारण देश-विदेश में जाने जाते हैं। इन्हें मानस से जुड़े 100 से भी अधिक विषयों पर व्याख्यान एवं कार्यशाला का अनुभव है।

आज की पीढ़ी को आध्यात्मिक उन्नति के लिए तार्किक सुसंगति (Logical Interpretation) के साथ बौद्धिक समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से “सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र” नाम से साप्ताहिक व्याख्यान शृंखला का 108 एपिसोड आदित्य प्रसारित कर चुके हैं। “सफल व्यक्तित्व का हनुमान मंत्र” इन्हीं शृंखलाओं पर आधारित किताब है। इससे पहले आदित्य की लिखे भजनों की 2 सीडी, कविताओं की 3 किताबों के साथ साथ 6 पेटेंट एवं दर्जनों साइंटिफिक रिसर्च पेपर अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

आदित्य शुक्ल साहित्य, समाज एवं विज्ञान के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाली संस्था पुरुषार्थ फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं, ब्रह्मवादी सांस्कृतिक संघ के संयोजक तथा प्रवासी छत्तीसगढ़ियों की संस्था महानदी सांस्कृतिक परिषद के संस्थापक हैं।साहित्यिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में उनके योगदान एवं उपलब्धियों के लिए समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं से इन्हें अनेक प्रशस्ति एवं सम्मान प्राप्त हुए हैं।

बदलते परिदृश्य में युवाओं को दिशाहीन होते देख उन्हें सकारात्मक शक्ति से जोड़ने का मन ही मन निश्चय किया।एक सामाजिक वैज्ञानिक की तरह पुराणों के गूढ़ ज्ञान को सामान्य व्यक्ति के लिए सरल एवं उपयोगी बनाना आदित्य की व्याख्यान शैली की विशेषता है।आदित्य उन बिरले चिंतक एवं साहित्यकारों में से एक हैं,जो स्वयं द्वारा कही गई बातों एवं विचारों को अपने आचरण से समाज में प्रदर्शित करते हैं।


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