
‘टहलने के लिए नहीं हैं राजमार्ग’, पैदल यात्रियों की सुरक्षा से संबंधित याचिका पर विचार से Supreme Court का इनकार
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राजमार्गों पर पैदल यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां कीं। इन मुद्दों से संबंधित याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी। याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि राजमार्ग लोगों के टहलने के लिए नहीं हैं। लोगों को राजमार्गों पर इधर-उधर नहीं घूमना नहीं चाहिए। अदालत ने कहा,”कल, आप कहेंगे कि पैदल यात्रियों को राजमार्ग पर टहलने की अनुमति दी जानी चाहिए और कारें रुकनी चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है? अदालत नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति कैसे दे सकती है।”
गुजरात HC के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हुई सुनवाई
राजमार्गों पर पैदल यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां कीं। इन मुद्दों से संबंधित याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी।
याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता क्योंकि याचिका में मांगी गई राहत नीतिगत निर्णयों का मामला है। कहा था कि याचिकाकर्ताओं के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से संपर्क करना का रास्ता खुला है।
लोगों को राजमार्गों पर इधर-उधर नहीं घूमना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
यह मामला सोमवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा राजमार्गों पर पैदल चलने वालों की सुरक्षा और संरक्षण से संबंधित है। इस पर पीठ ने कहा, “पैदल यात्री राजमार्ग पर कैसे आते हैं?”
आंकड़ों का हवाला देते हुए जब वकील ने कहा कि देश में पैदल यात्रियों के साथ सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है तो पीठ ने कहा कि ऐसी दुर्घटनाएं तब होंगी जब पैदल यात्री वहां जाएंगे जहां उन्हें नहीं होना चाहिए। लोगों को राजमार्गों पर इधर-उधर नहीं घूमना चाहिए। यह अनुशासन आवश्यक है।
यह तर्कहीन याचिका: कोर्ट
जब वकील ने आंकड़ों का हवाला देकर कहा कि ऐसी दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ गई है, तो पीठ ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि राजमार्ग बढ़ गए हैं। हमारा अनुशासन नहीं बढ़ा है।
पीठ ने कहा, “आपको जो मिला है, उससे आप खुश रहिए। अगर लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो अदालत कैसे कह सकती है कि वे नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं? पीठ ने कहा, यह तर्कहीन याचिका है। इसे जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए था।”