
हल्बी कविता…इया-इया,इया-इया,ना भाई बहिन मन,आदिवासी दिवस मनावां
*आदिवासी दिवस मनावां*
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हरिक उदिम,
मांदर ढूडरा झेला झेलवां ।
इया-इया,इया-इया,
ना भाई मन,रेला झेलवां ।
इया-इया,इया-इया,
ना भाई बहिन मन,
आदिवासी दिवस मनावां।।
सुना जमाय ना आमचो सगा,
सियान पीला जुवान लेका।
जीमी,माटी,गांव,दई चो,
आंव आमी जीया खूटा।
हरिक मने लाट डंगई,
आंगा,पालकी,गुटाल खेलावां। ।01।।
इया-इया,,,,
मुर दिन चो मुरिया होलूं,
इतिहास ने लिखा बसाला।
गोंडवाना लैंड धक्का गेली,
आमचो सुंदर कीर्ती रचाला।
रान बन संगे जीवना करून,
आमचो नंगत रसुम खेलवां ।। 02।।
इया-इया,,,
सगा समाज लोलो-बालो,
जमाय आमचो कुटुम।
हरिक इया उदिम करवां,
मीसून नाचून गाउन।
मुर दिन चो कीर्ती के पूरे नेउन,
आपलो पुरखती के धूप गंधावां।। 03।।
इया-इया,,,,,
विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर