
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय…देश में 12 करोड़ बुजुर्ग…बच्चों की तरह बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए भी मिल सकता है अवकाश, बजट सत्र में लाया जा सकता है विधेयक
देश में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या के साथ ही उनकी देखभाल का भी एक बड़ा संकट खड़ा होने लगा है। खासकर ऐसे परिवार और बुजुर्ग, जिनकी इकलौती संतान होती है, वहां यह संकट और भी गंभीर हो जाता है। फिलहाल, बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने बच्चों की देखभाल (चाइल्ड केयर) सहित दूसरे पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन के लिए दिए जाने वाले अवकाशों की तरह सरकारी कर्मचारियों को बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए भी अवकाश देने की सिफारिश की है।
इन सरकारी कर्मियों को दी जाएगी प्राथमिकता
इनमें ऐसे सरकारी कर्मियों को प्राथमिकता देने को कहा गया है, जिनके माता-पिता 80 वर्ष से ज्यादा के हैं या फिर वह दिव्यांग और गंभीर रूप से बीमार हैं। साथ ही, वह अपने माता- पिता की इकलौती संतान है। समिति ने इसके अलावा भी कई अहम सिफारिशें की है।
बजट सत्र में विधेयक लाने की तैयारी
संसदीय समिति ने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए अवकाश से जुड़ी यह अहम सिफारिश तब की है, जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय आने वाले बजट सत्र में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण से जुड़े नियमों में बदलाव को लेकर एक नए विधेयक लाने की तैयारी में है।
2019 में की गई कानून में बदलाव की पहल
वर्ष 2007 में बने मौजूदा कानून में बदलाव की यह पहल वैसे तो वर्ष 2019 में की गई थी। संसद में इसे लेकर उस समय विधेयक भी लाया गया था, बाद में उसे संसदीय समिति को भेज दिया गया था। इस दौरान समिति ने प्रस्तावित विधेयक और बुजुर्गों के जुड़ी मौजूदा समस्याओं को देखते हुए अलग-अलग चरणों में कई सुझाव दिए है।
इनमें जो अहम सुझाव है, उनमें माता-पिता अब सिर्फ अपने जैविक बच्चों से ही गुजारा भत्ता लेने के हकदार नहीं होंगे बल्कि इनमें नाती-पोते, दामाद या फिर ऐसे सगे-संबंधी शामिल होंगे जो उनकी संपत्ति के दावेदार होंगे। इसके अलावा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सहित सभी अस्पतालों में बुजुर्गों के उपचार की व्यवस्था रखने और सभी जिलों में बुजुर्गों की संख्या के हिसाब से वृद्धाश्रमों का निर्माण करने जैसी सिफारिशें भी की है।
देश में 12 करोड़ बुजुर्ग
मौजूदा समय में देश में बुजुर्गों की कुल संख्या करीब 12 करोड़ है। जो वर्ष 2026 तक करीब 18 करोड़ और वर्ष 2050 तक 33 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यही वजह है कि सरकार इससे पहले बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी सारी व्यवस्था को चाकचौबंद रखना चाहती है।
हैसियत के हिसाब से ले सकेंगे गुजारा भत्ता
बुजुर्गों की देखभाल से जुड़े नए प्रस्तावित विधेयक के तहत बुजुर्ग को अपने बच्चों से उनकी हैसियत के हिसाब से गुजारा भत्ता पाने के अधिकार होंगे। अभी तक इसकी अधिकतम सीमा दस हजार ही थी। इसके साथ ही बच्चों को अब तय होने वाले गुजारा भत्ता को उन्हें देना ही होगा। ऐसा न करने पर उन्हें जुर्माना और छह महीने महीने की जेल दोनों हो सकती है। प्रत्येक पुलिस थाने में भी एक सब-इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी बुजुर्गों से जुड़े मामलों को देखने के लिए विशेष रूप से नियुक्त होगा।