रंग-बिरंगे सॉक्स यानी मोजे बेचने की शुरुआत हमने सोशल मीडिया से ही की थी,आज भी हमारा ये सबसे बड़ा सेलिंग प्लेटफॉर्म है…सालाना टर्नओवर 4 करोड़

‘2017 का साल था। नई-नई शादी हुई थी। मैं और मेरी पत्नी विधि, हम दोनों वेकेशन में थाईलैंड गए हुए थे। वहां देखा कि एडल्ट लोग भी रंग-बिरंगे सॉक्स यानी मोजे पहने हुए हैं। हमें ये सॉक्स बहुत पसंद आए। इंडिया में देखते हैं कि सिर्फ बच्चों के लिए ही रंग-बिरंगे सॉक्स मिलते हैं।वेकेशन खत्म होने के बाद हम थाईलैंड से बहुत सारे सॉक्स खरीदकर ले आए, लेकिन जब पहना तो क्वालिटी बहुत ही खराब थी। 8 साल से मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते-करते और बॉस की डांट सुनते-सुनते परेशान हो गया था। लगा कि क्यों न अपना कुछ शुरू किया जाए।

इंडिया में भी एडल्ट्स के लिए रंग-बिरंगे सॉक्स बनाए जाए। इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर मैंने सॉक्स बनाना और इसे बेचना शुरू किया। 2 साल में ही हमारी कंपनी का सालाना टर्नओवर 4 करोड़ के करीब हो गया है।’जयपुर के रहने वाले कपिल गर्ग और उनकी पत्नी विधि गर्ग रंग-बिरंगे सॉक्स बनाने वाली कंपनी ठेलागाड़ी के को-फाउंडर हैं। डिब्बे और सॉक्स की डिजाइन, कलर देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो किसी छोटे बच्चे का बैग या खिलौना हो।

इंडिया में एडल्ट्स के लिए कलरफुल सॉक्स का चलन बिल्कुल नहीं है। इस तरह का कोई ब्रांड भी नहीं है। ऐसे में जो सॉक्स मिलता है, वो या तो विदेशों से इंपोर्टेड होते हैं या इनकी क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं होती है।जब हमें लगा कि इंडिया में भी यंगस्टर के बीच कलरफुल सॉक्स की डिमांड हो सकती है। रंग-बिरंगे सॉक्स एडल्ट्स को अट्रैक्ट कर सकते हैं। लोग शर्ट-पैंट, बूट-सूट… इन चीजों पर ध्यान देते हैं, ड्रेस के कलर के कलेक्शन को लेकर हमेशा सोचते हैं, लेकिन सॉक्स को उतनी तवज्जो नहीं मिलती है।’

जब हमने 2019 में सॉक्स बिजनेस पर काम करना शुरू किया, तो विधि को तो थोड़ी-बहुत डिजाइनिंग की नॉलेज थी, लेकिन मैं इस मामले में शून्य था। सबसे पहले कंपनी की शुरुआत विधि ने ही की, फिर कुछ महीने बाद मैं अपना जॉब छोड़कर सॉक्स बिजनेस पर फोकस करना शुरू कर दिया।कपिल की बातों को रोकते हुए बगल में बैठी उनकी पत्नी विधि बोल पड़ती हैं, ‘दरअसल, कपिल अपनी जॉब के साथ-साथ पार्ट टाइम में सॉक्स बिजनेस का काम कर रहे थे, लेकिन मैं चाहती थी कि हम दोनों मिलकर अपने बिजनेस को पूरे मन से करें।

एक दिन इसी बात पर हम दोनों के बीच लड़ाई हो गई, क्योंकि कुछ महीने बाद ही हमारे डिमांड लगातार बढ़ रहे थे, जिसके बाद कपिल ने जॉब छोड़ दी। फिर हमने इंटरनेट खंगालना शुरू कर दिया। इंडिया और फॉरेन के सॉक्स मार्केट की स्टडी की, तो पता चला कि इंडिया में अनऑर्गेनाइज्ड तरीके से सॉक्स का मार्केट है।’कपिल कहते हैं कि जब उन्होंने सॉफ्टवेयर की नौकरी छोड़कर सॉक्स बनाने और बेचने का काम शुरू किया,तो उन्हें घरवालों और सोसाइटी के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों का कहना था कि ये इंजीनियरिंग करके मोजे बेचेगा…। पागल हो गया है। मुंबई से जयपुर यही करने आया है।

कपिल बताते हैं, ‘सबसे बड़ी मुश्किल मम्मी-पापा को मनाना था। एक रोज की बात है, मैंने पापा से कहा कि मैं नौकरी छोड़ने जा रहा हूं। सुनते ही वो भड़क गए। पापा ने कहा- लाख रुपए महीने वाली नौकरी छोड़कर मोजे बेचने का काम करोगे, शर्म नहीं आती है। दोस्त-रिश्तेदारों ने भी यही कहा।हालांकि, बाद में पापा हमारे सॉक्स बिजनेस शुरू करने को लेकर राजी हो गए। मेरे दादा जी का टेक्सटाइल का बिजनेस था। इसलिए पापा को गारमेंट्स इंडस्ट्री की पहले से समझ थी। हमने उनसे ही सॉक्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले यार्न यानी धागे से लेकर फैब्रिक के बारे में समझा।’

हमने शुरुआत सॉक्स मैन्युफैक्चरिंग से की। विधि और मैंने सेविंग के 50-50 हजार रुपए से बिजनेस को शुरू किया। शुरुआत में जयपुर के ही लोकल वेंडर्स से सॉक्स की बेहतर क्वालिटी के मुताबिक प्रोडक्ट बनवाना शुरू किया। फिर बाद में दूसरे राज्यों के मैन्युफैक्चरर्स से सॉक्स बनवाने लगा।’

कपिल कहते हैं कि उन्हें भरोसा ही नहीं था कि दो साल में उनकी कंपनी का ग्रोथ इतनी तेजी से होगा। इसका क्रेडिट वो अपनी मार्केटिंग स्ट्रैटजी को देते हैं। कपिल बताते हैं, ‘हमें ये बातें पहले से पता थी कि 20 से 35 साल के लोग ही सबसे ज्यादा मार्केटिंग करना पसंद करते हैं। गारमेंट्स से रिलेटेड प्रोडक्ट्स खरीदते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खरीददारी भी यही लोग करते हैं।

हमने 90’s के कार्टून को सॉक्स पर डिजाइन करना शुरू किया। टॉम एंड जेरी जैसे कार्टून को सॉक्स के साथ कम्बाइंड किया, जो कस्टमर्स को बहुत ज्यादा पसंद आए। बेचने की शुरुआत हमने इंस्टाग्राम से ही की थी, आज भी हमारा ये सबसे बड़ा सेलिंग प्लेटफॉर्म है। हमारी टीम सोशल प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट्स की फोटोज अपलोड करती रहती है, जिसके जरिए हमें ऑर्डर मिलते हैं।’

कपिल कहते हैं, पहले हमारे पास हफ्ते में बमुश्किल से एक-दो ऑर्डर ही आते थे, फिर धीरे-धीरे जब हमने कस्टमर्स के फीडबैक वीडियो को अपलोड करना शुरू किया तो रिपीटेड कस्टमर्स आने लगे। आज हम हर दिन दो सौ से ज्यादा ऑर्डर और महीने में लगभग 25 से 30 लाख रुपए का सेल कर रहे हैं।।

कपिल कहते हैं कि मार्केट को बूस्ट करने के लिए उन्होंने अलग-अलग शहरों में होने वाले एग्जीबिशन में जाकर अपने सॉक्स के कलेक्शन का स्टॉल लगाया। इससे उनके नए-नए और दूसरे राज्यों के कस्टमर्स जु़ड़ते चले गए।

कपिल कहते हैं, ‘जब हमारा बिजनेस धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ तो चैलेंज ये भी था कि हम इसमें इस्तेमाल होने वाले रॉ मटेरियल की क्वालिटी को कैसे मेंटेन करें? हमने तिरुपुर से यार्न इंपोर्ट करना शुरू किया, जो इसका हब माना जाता है। दरअसल, सॉक्स में इस्तेमाल होने वाले कई बेहतर क्वालिटी के रॉ मटेरियल एक्सपोर्ट कर दिए जाते हैं।

क्वालिटी की बदौलत ही आज हमारी कंपनी का सालाना टर्नओवर 4 करोड़ के करीब है। अब हम सॉक्स के अलावा भी अलग-अलग तरह के गारमेंट्स रिलेटेड प्रोडक्ट्स बना रहे हैं। हमने मार्केटिंग के लिए कई सेलिब्रिटीज जैसे विक्की कौशल, मृणाल ठाकुर, मल्लिका दुआ को साइन किया है।’


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