कतरन को बनाया महिलाओं के रोजगार का जरिया…पुरानी जींस, पैंट- शर्ट या दूसरे बचे हुए कतरन या अनुपयोगी कपड़े लोगों के घरों से इकट्‌ठा करते हैं…जिससे बैग,थैला,लैपटॉप बैग, स्लिंग बैग,कवर और ड्रेस सहित करीब 50 तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं

कपड़े बन जाने के बाद कपड़े का कुछ हिस्सा बच जाता है जिसे कतरन समझ फेंक दिया जाता है। भोपाल की पूजा आयंगर ने एक ऐसी पहल की है जिससे न सिर्फ इन कतरनों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है, बल्कि इन कतरनों की बदौलत कई महिलाओं को रोजगार भी मिला है। कतरनों से कई तरह की ड्रेस, हैंड बैग, लैपटॉप केस और डॉग बेड्स सहित कई प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं।

पूजा का महाशक्ति सेवा केंद्र नाम से एक NGO है, जहां हर साल हजारों महिलाओं को सिलाई, ब्लॉक प्रिंटिंग के साथ कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा 25 से 30 महिलाएं हैं, जो NGO में परमानेंट काम करती हैं। पूजा ने न केवल कपड़ों के कतरन को कमाई का जरिया बनाया, बल्कि इससे हजारों महिलाओं को भी कमाई करने का मौका दे रहीं है। साथ ही जरूरतमंद के जीवन में रोशनी भरने का काम कर रहीं है।

कतरन को इकट्ठा करने के लिए पूजा कई वेलफेयर सोसाइटी से जुड़ी हैं। इसके अलावा नगर निगम और लोगों से मदद लेती हैं। महाशक्ति सेवा केंद्र में बनाए गए प्रोडक्ट्स को देश ही नहीं विदेशों में भी लोग पसंद कर रहे हैं।

पूजा और उनका NGO कपड़ों के कतरनों को इक्कठा करने के लिए कई वेलफेयर सोसाइटी से जुड़ी हैं। जहां से हर महीने ढेरों कतरन आते हैं। पूजा की इस पहल को जानने के बाद कई लोग इन्हें खुद ही कतरन भेजते हैं।

पूजा बताती हैं,हम पुरानी जींस, पैंट- शर्ट या दूसरे बचे हुए कतरन या अनुपयोगी कपड़े लोगों के घरों से इकट्‌ठा करते हैं। जिससे बैग ,थैला, लैपटॉप बैग, स्लिंग बैग, कवर और ड्रेस सहित करीब 50 तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। हमारे NGO में करीब 25 से 30 महिलाएं हैं जो इस काम को परमानेंटली करती हैं। इस तरह हम पर्यावरण को तो बचाते है इसके अलावा कई जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार भी देते हैं।

पूजा के अनुसार, उनकी संस्था के जरिए हर साल कई महिलाओं को वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है। इन महिलाओं को तीन महीने के कोर्स में सिलाई, ब्लॉक प्रिंटिंग के साथ कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाती है। 2016 से अब तक पूजा खुद हजारों महिलाओं को ट्रेन कर चुकी हैं जो आज कहीं न कहीं काम कर रही हैं।


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