आस्था…ऊंची पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी दरबार…बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है…इसे वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था

कमलेश यादव:शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर हम आपको लेकर जा रहे है छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में स्थित माँ बम्लेश्वरी की पावन द्वार पर जहाँ श्रद्धालुओं का मेला लगा हुआ है।भक्त माता का जयकारा लगाते हुए पहाड़ी स्थित ऊपर मन्दिर में माताजी की दर्शन किये।सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है।कोरोना संक्रमण के चलते दो वर्षों से माँ बम्लेश्वरी के दर्शन बंदिशों के बीच हो रही थी।मेला स्थल भी सजकर तैयार हो गया है।

ऊपर पहाड़ी व नीचे स्थित मां बम्लेश्वरी मन्दिर और शीतला मन्दिर में करीब 6800 ज्योति कलश प्रज्वलित किये गए है।सुबह करीब 7 बजे भक्तों की लंबी कतार लगी रही।आकर्षक रंग बिरंगी लाइटों की सजावट से जगमगाता माता का मंदिर मन को सौंदर्य से मोहित करने वाला है।पदयात्री भी बहुत ही दूर दूर से अपनी आस्था लिए माता के दरबार मे पहुचना शुरू कर दिये है।

ज्ञात हो कि माँ बम्लेश्वरी का दरबार 1600 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।श्रद्धालुओं को यहां तक पहुँचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।इतिहासकार मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है।डोंगरगढ़ का इतिहास मध्यप्रदेश के उज्जैन से जुड़ा है।इसे वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था।माँ बम्लेश्वरी को मध्यप्रदेश के उज्जयनी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी कहा जाता है।इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को कलचुरी काल का पाया है।


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