
वह खेतों में फावड़ा चलाती, गाय के गोबर से उपले बनाती, दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करके अपने परिवार का पालन-पोषण करती…उन्होंने अपने नाम के आगे डाॅ. लगाने का सपना देखा और इस सपने को पूरा कर दिखाया
वह खेत में फावड़ा चलाती थी, गाय के गोबर से उपले बनाती थी, दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार संभालती थी और रात में जब पति और बच्चे थक कर सो जाते तो देखे हुए सपनों को साकार करने में लग जाती थी। उस महिला को सलाम, जिसने जीवन के संघर्षों के सामने हार नहीं मानी। महिला दिहाड़ी मजदूरी करती थी लेकिन उसने अपने नाम के आगे डाॅ. लगाने का सपना देखा और इस सपने को पूरा कर दिखाया।आइए जानते हैं पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाली दिहाड़ी मजदूर महिला के बारे में।
कौन हैं पीएचडी होल्डर दिहाड़ी मजदूर महिला
आंध्र प्रदेश की रहने वाली साके भारती नाम की महिला ने हाल ही में पीएचडी की डिग्री हासिल की है, जिसके साथ ही उनके नाम के आगे डाॅ. लग गया है। साके भारती देशभर के लिए मिसाल बन गई हैं।
साके भारती का जीवन परिचय
साके भारती आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में नागुलागुद्दम गांव की रहने वाली हैं। वह बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। सरकारी संस्थान से 12वीं की पढ़ाई के बाद ही उनकी शादी हो गई। शादी के बाद बच्चे और परिवार की जिम्मेदारी उठा रहीं साके भारती अपने सपने नहीं भूलीं। शादी के बाद भी उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए पढ़ाई जारी रखी।
पति ने दिया साथ
उन्होंने अनंतपुर से एसएसबीएम डिग्री एंड पीजी कॉलेज से केमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक की डिग्री हासिल की। इस दौरान वह घर पर बच्चे को संभालने के साथ ही खेतों में मजदूरी करती थीं, ताकि पति संग घर की आर्थिक स्थिति को संभाल सकें। पति शिव प्रसाद ने भारती का साथ दिया और पीएचडी में दाखिला कराया। भारती ने केमिस्ट्री में बाइनरी लिक्विड मिक्सचर्स में पीएचडी की।