
कई बार हम चीजों को उनके बाहरी आवरण से देखते हैं, जबकि उसके पीछे के पहलू कुछ और ही होते हैं…जब हम उस चीज़ के प्रति अपना नज़रिया बदल देते हैं तो लगता है कि जीवन कितना अलग है
एक बार श्रीकृष्ण और अर्जुन कहीं जा रहे थे| रास्ते में उन्हें एक घायल कुत्ता मिला| कुत्ते के जख्म पर कीड़े लग चुके थे और वह दर्द से कराह रहा था| उस कुत्ते की दशा देखने लायक भी नहीं थी|
कुत्ते को जब अर्जुन और श्रीकृष्ण ने देखा तो वे दोनों ही उसे देखकर व्यथित हुए| तब अर्जुन ने कहा- “प्रभु, इस कुत्ते को देखिए, कितना गंदा है| इसके शरीर पर घाव देखकर इसके पास खड़े रहने की इच्छा भी नहीं होती|”
तभी श्रीकृष्ण बोले- “पार्थ, तुमने इस कुत्ते के घाव देखे, लेकिन क्या तुमने इसके दांत देखे| कितने सुंदर और मोतियों की तरह सफ़ेद हैं| इसके दांत देखकर इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह कितना सुंदर होगा|”
श्रीकृष्ण की बातों से अर्जुन को अपनी भूल का एह्सास हुआ| उसने उनसे क्षमा मांगते हुए कहा कि प्रभु आपकी बातें हमेशा मुझे कुछ नया सन्देश देती हैं| आप सही कहते हैं, यदि हम अपनी सोच को परिवर्तित कर लें तो फिर संसार में सबकुछ सुन्दर हो सकता है| अच्छाई सभी में होती है, बस हमें एक अलग नज़रिये से उसे देखने की ज़रूरत है।